भारत ने अप्रैल से जून के तिमाही में लगभग 9.74 लाख टन डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का आयात किया है ताकि देश की घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। यह जानकारी मंगलवार को राज्यसभा में केमिकल्स और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, अप्रैल में 2.89 लाख टन, मई में 2.36 लाख टन और जून में 4.49 लाख टन डीएपी का आयात हुआ। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024-25 में डीएपी का आयात 45.69 लाख टन रहा, जबकि 2023-24 में यह 55.67 लाख टन, 2022-23 में 65.83 लाख टन, 2021-22 में 54.62 लाख टन और 2020-21 में 48.82 लाख टन था।
उर्वरकों की मांग पिछले वर्ष से थोड़ी अधिक
खबर के मुताबिक, राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सरकार खरीफ 2025 की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है। इस बार की खरीफ मौसम के लिए उर्वरकों की मांग पिछले वर्ष से थोड़ी अधिक है, क्योंकि फसलों की बुवाई क्षेत्र में वृद्धि हुई है और मॉनसून अनुकूल रहा है।
पटेल ने बताया कि अप्रैल 2010 से केंद्र सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों के लिए न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी नीति लागू की है। इस नीति के तहत, पोषक तत्वों की मात्रा के आधार पर सब्सिडी तय की जाती है और ये उर्वरक ओपन जनरल लाइसेंस के तहत आते हैं, जिससे कंपनियां अपने व्यवसाय के अनुसार आयात कर सकती हैं।
निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित किया जा रहा
उन्होंने कहा कि देश में उर्वरक की मांग और उत्पादन के बीच अंतर को आयात के जरिए पूरा किया जाता है। भू-राजनीतिक कारणों से सप्लाई चेन में बाधाएं न आएं, इसके लिए उर्वरक कंपनियों ने डीएपी उत्पादन वाले देशों के साथ दीर्घकालिक समझौते किए हैं ताकि निरंतर आपूर्ति बनी रहे।
उर्वरक आयात में यूरिया का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में यूरिया का आयात 56.47 लाख टन, 2023-24 में 70.42 लाख टन, 2022-23 में 75.80 लाख टन, 2021-22 में 91.36 लाख टन और 2020-21 में 98.28 लाख टन रहा।