नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। पूर्व विदेश सचिव और राज्यसभा सांसद हर्ष वर्धन श्रृंगला का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच गहरी दोस्ती इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकती है।
श्रृंगला ने कहा कि भले ही अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है, लेकिन दोनों देश जल्द ही एक पारस्परिक लाभकारी समझौते तक पहुंच सकते हैं।
टैरिफ से किन सेक्टर्स पर असर?
अमेरिका के नए टैरिफ नियमों से भारत का बड़ा निर्यात प्रभावित हो सकता है।
- भारत के 86.5 अरब डॉलर के कुल निर्यात में से करीब 60.2 अरब डॉलर के सामान पर भारी टैरिफ लागू होगा।
- टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और झींगा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की गिरावट संभव है।
- हालांकि, दवाइयां, APIs और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स (27.6 अरब डॉलर का निर्यात) इस टैरिफ से मुक्त रहेंगे।
वैकल्पिक बाज़ारों की तलाश
श्रृंगला ने बताया कि भारत इस असर को कम करने के लिए नए व्यापारिक रास्तों पर काम कर रहा है।
- भारत पहले ही ऑस्ट्रेलिया, UAE और ब्रिटेन के साथ FTA कर चुका है।
- यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी जल्द समझौते की उम्मीद है।
- इससे भारत अपने निर्यात को अन्य देशों की ओर मोड़ पाएगा।
‘दोस्ती और साझा मूल्यों पर भरोसा’
श्रृंगला ने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साझा मूल्य और सिद्धांत इस रिश्ते की मजबूती हैं।
- उन्होंने “हाउडी मोदी” और “नमस्ते ट्रंप” जैसे आयोजनों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों नेताओं की निजी नजदीकी अब भी इस रिश्ते को मजबूती देती है।
- अमेरिका में नए राजदूत सर्जियो गोर की नियुक्ति को उन्होंने सकारात्मक कदम बताया।
टेक्नोलॉजी सेक्टर पर फोकस
भारत अपनी रणनीति को और मजबूत करने के लिए सेमीकंडक्टर और रेयर अर्थ मिनरल्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिका समेत कई देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। श्रृंगला ने कहा कि आने वाले 20 सालों में भारत की प्रगति के लिए ये क्षेत्र निर्णायक साबित होंगे।