India-China Tension मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला
नई दिल्ली। India-China Tension भारत-चीन सीमा पर पिछले लगभग तीन सालों से तनाव की स्थिति बरकरार है। दोनों ही देशों ने बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की हुई है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना ने अत्याधुनिक हथियार भी तैयार रखे हैं। इस बीच, मोदी कैबिनेट ने बड़ा फैसला करते हुए बुधवार को भारत-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) में 9400 जवानों को शामिल करने की मंजूरी दे दी। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए सात नई बटालियन और एक नया सेक्टर मुख्यालय स्थापित किया जाएगा।
India-China Tension भारत-चीन सीमा के बीच आईटीबीपी के जवानों की बड़ी संख्या में तैनाती है। 9 हजार से अधिक जवानों के और शामिल होने के बाद बॉर्डर पर सुरक्षा ग्रिड को और मजबूती मिलेगी। मालूम हो कि एलएसी पर पिछले कुछ वर्षों में पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय और चीनी सेना के बीच कई बार झड़प हुई है। देपसांग के मैदानों और लद्दाख के चार्डिंग नाला क्षेत्र में कई पारंपरिक गश्त बिंदुओं तक पहुंच से वंचित किए जाने की भी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं। ऐसे में सरकार का यह फैसला आईटीबीपी को मदद पहुंचाएगा।
2013-14 से लंबित था यह प्रस्ताव
‘इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ”यह आईटीबीपी का 2013-14 से लंबित प्रस्ताव था। शुरुआत में इसमें 12 नई बटालियन बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब इसे घटाकर सात बटालियन कर दिया गया है। यह एलएसी के साथ सीमा चौकियों और शिविरों की संख्या बढ़ाने के निर्णय के संयोजन में किया गया है। यह फैसला पिछले साल दिसंबर में अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांग्त्जे क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़पों की पृष्ठभूमि में आया है। उस झड़प में कई भारतीय सैनिकों के घायल होने की सूचना मिली थी। इस घटना से पहले और बाद में, सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कई मौकों पर बताया है कि चीन-भारत सीमा पर स्थिति स्थिर लेकिन अप्रत्याशित बनी हुई है।
लद्दाख टकराव के बीच कई बार हुई है बातचीत
India-China Tension भारतीय और चीनी सेनाएं अप्रैल 2020 से लद्दाख में टकराव की स्थिति में बनी हुई हैं। जून 2020 में ही पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी। तब से राजनयिक और सैन्य स्तर की कई वार्ताएं हुई हैं। इसकी वजह से लद्दाख में टकराव के सात में से पांच बिंदुओं पर डिसइंगेजमेंट भी हो चुका है। हालांकि, दोनों पक्ष बड़ी संख्या में सैनिकों को बनाए रखे हुए हैं। पिछले साल नवंबर में आर्मी चीफ ने डिसएंगेजमेंट के संकेत दिए थे, लेकिन यह भी कहा था कि जहां तक पीएलए बल के का सवाल है, उसमें कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं हुई है। सीमा पर चीनी बुनियादी ढांचे के बारे में बोलते हुए, आर्मी चीफ पांडे ने तब कहा था, “बुनियादी ढांचे के विकास के संदर्भ में, यह बेरोकटोक हो रहा है। सड़क के बुनियादी ढांचे, हेलीपैड, हवाई क्षेत्र सहित सड़कें ठीक पास तक हैं। उल्लेखनीय विकासों में से एक जी-695 रहा है। एलएसी के समानांतर चलने वाली सड़क या राजमार्ग उसे (चीन) न केवल सेना को आगे बढ़ाने की क्षमता देगा बल्कि सेना को एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में स्विच करने की भी क्षमता देगा।”