मुंगेली। जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत हुई संविदा भर्ती पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि चयनित अभ्यर्थियों की पदस्थापना उन स्थानों पर की गई है, जहां पद ही स्वीकृत नहीं हैं। इससे भर्ती प्रक्रिया पर पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर संदेह गहराया है।

अभ्यर्थियों का आरोप – मनमानी पोस्टिंग
लल्लूराम डॉट कॉम को अभ्यर्थियों ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया के बाद कुछ कर्मचारियों ने उन्हें फोन कर उनकी पोस्टिंग की जानकारी मांगी। अभ्यर्थियों का कहना है कि जहां वास्तविक जरूरत थी, वहां पदस्थापना नहीं की गई। इसके उलट मनचाहे पदों पर चहेतों को तैनात कर दिया गया है।
भर्ती प्रक्रिया की समयरेखा
- 25 मई 2023 और 27 फरवरी 2024 को विज्ञापन प्रकाशित।
- 8 अगस्त 2025 को कौशल परीक्षा का परिणाम जारी।
- 19 अगस्त को चयन और प्रतीक्षा सूची जारी।
- 28 अगस्त को नियुक्ति आदेश जारी।
कहां गड़बड़ी हुई?
- सेक्रेटेरियल असिस्टेंट – दो पद स्वीकृत थे: एक CMHO कार्यालय और दूसरा जिला अस्पताल। लेकिन दोनों चयनित अभ्यर्थियों को क्रमशः मुंगेली और लोरमी खंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ किया गया, जहां पहले से ही कर्मचारी कार्यरत हैं।
- जूनियर सेक्रेटेरियल असिस्टेंट (PADA) – इन पदों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए विज्ञापित किया गया था, लेकिन चयनित अभ्यर्थियों को पथरिया CHC, लोरमी CHC और ‘शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ में पदस्थ किया गया। जबकि जिले में इस नाम की कोई संस्था संचालित ही नहीं है और शहरी पीएचसी में इन पदों की स्वीकृति भी नहीं है।
- काउंसलर – RMNCH – जरूरत जिला अस्पताल में थी, लेकिन नियुक्ति सीधे CMHO कार्यालय में कर दी गई। सवाल यह है कि जहां मरीज ही नहीं आते, वहां काउंसलर की जरूरत क्यों?
- नर्सिंग ऑफिसर – अभ्यर्थियों को उन संस्थाओं में भेजा गया, जहां NHM के तहत ऐसे पद स्वीकृत ही नहीं हैं।
CMHO का पक्ष
इस मामले पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शीला शाहा ने कहा,
“मुझे ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि संज्ञान में आता है तो जांच की जाएगी। कहीं त्रुटि हुई होगी तो उसे दुरुस्त किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि NHM के एक पद की पोस्टिंग में त्रुटि हुई थी, जिसे बाद में सुधार लिया गया।
बड़ा सवाल
स्वास्थ्य सेवाओं में जहां वास्तविक जरूरत है, वहां पदस्थापना न करना और गैर-स्वीकृत संस्थाओं में कर्मचारियों को तैनात करना, क्या यह भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और पक्षपात का सबूत नहीं है?