पंक्तियाँ श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के विराट व्यक्तित्व को परिभाषित करती हैं। भारतीय राजनीति में अटल जी केवल एक नेता नहीं, बल्कि ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने राजनीति को राष्ट्रसेवा का माध्यम बनाया और लोकतांत्रिक मूल्यों को जीवन की साधना माना। अटल जी का नाम बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर पीढ़ी की स्मृतियों में बसा हुआ है। वे कवि थे, चिंतक थे, राष्ट्रवादी विचारधारा के ध्वजवाहक थे और सबसे बढ़कर भारत माता के सच्चे उपासक थे। उन्होंने जीवन का प्रत्येक क्षण मातृभूमि को अर्पित किया। जनसंघ से लेकर भाजपा की स्थापना तक, हर पड़ाव पर उन्होंने संगठन को सींचा और मजबूत नींव रखी। 1980 में जब भाजपा का गठन हुआ, अटल जी इसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और संगठन को दिशा दी। आज जिस विशाल वटवृक्ष के रूप में भाजपा खड़ी है, उसका बीजारोपण अटल जी ने ही किया था।
1998 में जब वे पूर्णकालिक प्रधानमंत्री बने, देश राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट से गुजर रहा था। 9 वर्षों में चार बार लोकसभा चुनाव हो चुके थे। ऐसे कठिन समय में अटल जी ने देश को स्थिर सरकार दी और विकास का नया अध्याय खोला।स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से महानगरों को जोड़ा गया, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से गाँव-गाँव तक सड़क पहुँची। भारतमाला और सागरमाला जैसी परियोजनाओं ने आर्थिक ढाँचे को मजबूती दी। आईटी और दूरसंचार क्षेत्र में उनके नेतृत्व ने भारत को डिजिटल युग की ओर अग्रसर किया।
11 मई 1998 को पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण कर अटल जी ने विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया। कारगिल युद्ध के समय उनका अटल संकल्प और सेनाओं के प्रति अटूट समर्थन भारत की संप्रभुता की रक्षा का प्रमाण था। वे कभी किसी विदेशी दबाव के आगे नहीं झुके, भारत हित उनके लिए सर्वोपरि था।
आपातकाल के समय संविधान की रक्षा हेतु जेल जाना हो या फिर 1999 में मात्र एक वोट से अपनी सरकार गँवाने का कठिन निर्णय लेना, अटल जी ने हमेशा लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि रखा। उनके लिए सत्ता साधन थी, साध्य नहीं। राजनीति में शुचिता और मूल्यों की जो मिसाल उन्होंने कायम की, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर उन्होंने पहली बार वैश्विक मंच पर भारतीय अस्मिता की गूंज सुनाई। यह केवल भाषण नहीं, बल्कि भारतीय गौरव का उद्घोष था।
छत्तीसगढ़ की धरती पर विविधता से भरी संस्कृति और परंपराएँ सदियों से विद्यमान थीं, लेकिन दशकों तक इस प्रदेश की कोई अलग पहचान नहीं थी। हमें अक्सर “अमीर धरती के गरीब लोग” कहा जाता था। भाषाई, सांस्कृतिक और भौगोलिक आधार पर अलग राज्य की माँग को लेकर लंबा संघर्ष चलता रहा।
मुझे आज भी याद है, वर्ष 1998-99 के लोकसभा चुनाव के दौरान, जब अटल जी रायपुर के ऐतिहासिक सप्रे शाला मैदान में छत्तीसगढ़ की जनता को संबोधित कर रहे थे। उस समय उन्होंने एक ऐतिहासिक वचन दिया, “आप मुझे 11 सांसद दीजिए, मैं आपको छत्तीसगढ़ दूँगा।” इसके बाद भारतीय जनता पार्टी को 10 लोकसभा सीटों पर अभूतपूर्व सफलता मिली और अंततः 1 नवंबर 2000 को अटल जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ। यह क्षण केवल राजनीतिक उपलब्धि नहीं था, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा को उसकी पहचान मिलने का क्षण था।अटल जी के साथ बिताए क्षण अविस्मरणीय हैं। मुझे वह प्रसंग याद है जब पहली बार सांसद बनने के बाद उनका आशीर्वाद लेने पहुँचा। उन्होंने मुझे देखते ही कहा, “अच्छा, तुम हो डॉक्टर रमन… तुमने वोरा जी के खिलाफ चुनाव लड़ा? इसकी सजा तुम्हें मिलेगी।” और तीसरे ही दिन मुझे केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर मिला। यह उनका स्नेह भी था और दूरदृष्टि भी।
कवर्धा की सुबह 6 बजे की सभा हो या संसद में उनके ओजस्वी भाषण अटल जी की वाणी में ऐसी शक्ति थी कि लाखों लोग केवल उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आते थे। वे माँ सरस्वती के सच्चे साधक और भारत माता के गौरवशाली पुत्र थे।
अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन इस बात का साक्षात प्रमाण है कि राजनीति केवल सत्ता का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज की सेवा का मार्ग है। उन्होंने जो आदर्श स्थापित किए, वही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे। अटल जी की यह प्रबल इच्छा रही कि छत्तीसगढ़ को एक विकसित राज्य के रूप में स्थापित किया जाए। ऐसा राज्य जहाँ हर हाथ को रोजगार मिले, हर गाँव और शहर में विश्वस्तरीय शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हों, और जहाँ नारी का सम्मान बढ़े, उनका सशक्तिकरण सुनिश्चित हो।
आज 25 वर्ष बाद भी छत्तीसगढ़ निश्चित रूप से इस दिशा में आगे बढ़ रहा है और मुझे विश्वास है कि 2047 तक यह प्रदेश एक सशक्त, समृद्ध और विकसित राज्य के रूप में पूरे राष्ट्र के सामने स्थापित होगा। भारत के इतिहास में अटल जी का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है और वे सदैव प्रत्येक भारतीय के हृदय में जीवित रहेंगे।
डॉ. रमन सिंह
(पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान
विधानसभा अध्यक्ष)