Hostel superintendents मण्डल निरीक्षक के संरक्षण में छात्रावास अधीक्षकों की मनमानी

Hostel superintendents

Hostel superintendents जैजैपुर विकास-खण्ड के छात्रावासों से अधीक्षक रहते है नदारद

Hostel superintendents सक्ती/ जैजैपुर ! जैजैपुर ब्लाक में छात्रावास अधीक्षकों को मण्डल निरीक्षक द्वारा खुला छूट दिया जाता है, जैजैपुर ब्लाक में छात्रावास अधीक्षकों को मण्डल निरीक्षक द्वारा छुट्टी के नाम पर खुली छूट दी जाती है। जैजैपुर आदिम जाति कल्याण विभाग में अधीक्षकों की मनमानी चरम पर है।

Hostel superintendents जैजैपुर विकासखण्ड में वैसे तो 20 छात्रावासों की संख्या है लेकिन अक्सर उनमे से आधे जिम्मेदार अधीक्षक छात्रावास से नदारद ही पाये जाते है। जैजैपुर क्षेत्र हमेशा से ही छात्रावास अधीक्षकों के नदारद मामले सुर्खियों पर ही रही है, छात्रावासों में राम राज जहाँ मुख्यमंत्री आगमन को भी दरकिनार कर दिया जाता है, मण्डल निरीक्षक को जब अनुपस्थित अधीक्षकों की जानकारी पूछीं जाती है तो कभी छुट्टियों का बात करते है तो कभी मैच्यूल सामूहिक मीटिंग के कारण अनुपस्थिति होने का कारण बताने लगते है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बया करती है।

Hostel superintendents उल्लेखनीय है कि अधीक्षकों को अपने जिम्मेदारियों का आभास ना होते हुए रसोईयों के भरोसे बच्चों को छात्रवास में बेपरवाह होकर घरों मे आराम फरमाते नजर आते हैं या अपनी निजी कामों में व्यस्त रहते है, जिसकी जानकारी मंडल निरीक्षक को बखूबी होती है परंतु मण्डल निरीक्षक द्वारा छुट्टी का हवाला देकर खर्चा पानी का व्यवस्था हो जाएगा कहते हुए अधीक्षकों को खुला संरक्षण देते हैं। जैजैपुर विकासखंड के बालक अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रावासों से ग्रामीण बखूबी परिचित है जहां रसोइयों के भरोसे दूरदराज से आए विद्यार्थियों को छोड़कर हॉस्टल अधीक्षकों द्वारा छुट्टी का हवाला देते हुए घर मे आराम फरमाते रहते हैं।

Hostel superintendents मण्डल निरीक्षक को जब छात्रावास अधीक्षकों की अनुपस्थिति की जानकारी पूछी जाती है तो बात को टालमटोल करते हुए छुट्टी पर होने की बात बताते हैं। छात्रवास अधीक्षकों की मनमानी में साथ देने में लगे रहते हैं ताज्जुब की बात यह है कि एक साथ चार-से-पांच छात्रावास अधीक्षक छूट्टी में रहते है, अब अनुमान लगाया जा सकता है कि मंडल निरीक्षक को हॉस्टल अधीक्षकों द्वारा घर में रहने का चढ़ावा रूपी मेवा मिल जाता है। जिसके चलते अधीक्षकों के ऊपर नकेल कसने के बजाय उनको खुला छूट प्रदान कर रखें हैं।

Hostel superintendents कुछ छात्रवास के बच्चों का ये भी कहना है कि उनको उचित आहार व प्रयाप्त भोजन पेट भर नही मिल पाता है, जबकि छात्रावास अधीक्षकों द्वारा छात्रवासों में उपस्थित बच्चों संख्याओं के अनुमान से अधिक का स्टीमेट विभाग को भेज कर राशि आहरण किया जाता है, बावजूद इसके मीनू चार्ट के आधार पर भोजन नही बनता है।

नहीं सुधर रही छात्रावासों व आश्रमों की व्यवस्थाएं

Hostel superintendents जानकारी हो कि नवीन जिले शक्ति में आदिम जाति कल्याण विभाग से संचालित लगभग 60 से अधिक आश्रम एवं छात्रावास संचालित है उनमें रह रहे छात्रों को समस्त प्रकार की दी जाने वाली सुविधाओं के लिए शासन द्वारा करोड़ो रुपए का बजट दिया जाता है। आदिम जाति कल्याण विभाग को गरीब परिवार व मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए खाने रहने का व्यवस्था मुहैया करना होता है जिसमें गरीब वर्ग के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल कराया जा सके अब स्थिति ऐसा बना हुआ है कि उनको संचालित कर रहे अधीक्षक लाखो रुपए का बजट बनाकर डकार रहे है।

Hostel superintendents कई छात्रावासों और आश्रमों से नदारद रहते हैं जिम्मेदार अधीक्षक

उदाहरण के तौर पर नवीन जिला सक्ती अंतर्गत जैजैपुर क्षेत्र में ही लगभग 20 छात्रावास संचालित हो रहें है जिनमें अधिकाशं छात्रावासों की व्यवस्थाएं बदत्तर है। प्री मैट्रिक हो या पोस्ट मैट्रिक में कही 50 सीटे है,तो कहीं 80 लेकिन वर्तमान में 15 तो किसी में 5-6 छात्र ही उपस्थित है तथा बाकी छात्र अवैध रूप से (कागज)में निवास कर रहे है।

आपको बता दें कि अधिकांश छात्रावास के अधीक्षक दूसरे जिले से आना-जाना करते है, जिसके चलते अक्सर कई दिनों तक रसोई के भरोसे दूर दराज से छात्रवास में रहने वाले बच्चों को छोड़ कर घर मे बेफिक्र सोते रहते है।

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