Horoscope of congress कांग्रेस की कुंडली में केजरीवाल का योग

Horoscope of congress

Horoscope of congress कांग्रेस की कुंडली में केजरीवाल का योग

Horoscope of congress ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की कुंडली में अरविंद केजरीवाल का योग बहुत भारी हो गया है। हर जगह केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की राजनीति कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। केजरीवाल की पार्टी के कारण कांग्रेस ने 2013 में दिल्ली गंवाई थी और 2017 में दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस की वापसी की संभावना समाप्त हो गई तो केजरीवाल की पार्टी के कारण कांग्रेस ने इस साल पंजाब की सरकार गंवाई।

Horoscope of congress  अब गुजरात में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का भट्टा बैठा दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में 42 फीसदी वोट हासिल करने वाली कांग्रेस 27 फीसदी वोट पर अटकी है और उसकी विधानसभा सीटों की संख्या एक चौथाई रह गई, वह मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी हासिल नहीं कर पाई।

Horoscope of congress कांग्रेस की बाकी आधी सीटें केजरीवाल के खाते में नहीं गई है वह भाजपा के पास चली गई। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के 42 फीसदी वोट में से 13 फीसदी वोट हासिल किया और पांच सीटें जीतीं लेकिन कांग्रेस के वोट में बंटवारे का फायदा भाजपा को मिला और वह डेढ़ सौ सीटों के पार पहुंच गई। ध्यान रहे पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करीब 42 फीसदी वोट और 77 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को 49 फीसदी वोट और 99 सीटें मिली थीं। कई चुनावों के बाद पहली बार ऐसा हुआ था कि भाजपा एक सौ सीट के नीचे रह गई थी, जबकि उसका वोट पहले से बढ़ा था। आमने सामने के चुनाव की वजह से ऐसा हुआ था।

लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी। हालांकि पार्टी के पास न कोई संगठन है और न कोई बड़ा नेता लेकिन आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की मुफ्त की रेवड़ी बांटने की घोषणाओं और दिल्ली, पंजाब के मॉडल ने गुजरात की एक बड़ी आबादी को आकर्षित किया। उनको लगा कि कांग्रेस के विकल्प के तौर पर आप को आजमाया जा सकता है। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और भगवंत मान ने यह प्रचार किया कि दिल्ली और पंजाब के लोग कांग्रेस की जगह आप की सरकार बनवा कर खुश हैं। इस चक्कर में कांग्रेस समर्थकों का एक वर्ग आप के साथ चला गया।

Horoscope of congress ध्यान रहे जब भी सत्ता विरोधी वोट का बंटवारा होता है तो सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होता है। आप ने कांग्रेस का वोट काटा तो भाजपा की सीटें पिछली बार की 99 से बढ़ कर डेढ़ सौ के पार पहुंच गईं। इसी तरह 2012 में गुजरात परिवर्तन पार्टी ने चार फीसदी वोट हासिल किया तो 47 फीसदी वोट मिलने के बावजूद भाजपा 115 सीट जीत गई थी। लेकिन 2017 में वोट नहीं बंटा तो भाजपा ने 16 सीटें गंवा दी थी।

बहरहाल, गुजरात में कांग्रेस का भट्टा बैठाने के बाद केजरीवाल देश के उन सभी राज्यों में राजनीति करेंगे, जहां भाजपा का कांग्रेस से सीधा मुकाबला है। हालांकि ऐसा वे भाजपा की बी टीम की तौर पर या भाजपा के कहने से नहीं करेंगे। ऐसा वे अपने फायदे के लिए करेंगे। उनको लग रहा है कि इस राजनीति से उनकी पार्टी बढ़ रही है। उनकी कोई प्रतिबद्धता भाजपा को हराने की नहीं है।

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