रायपुर, 17 अक्टूबर 2025: छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों और जमीन मालिकों के लिए बड़ा ऐतिहासिक और दूरगामी फैसला लिया है। अब राज्य में जमीन की खरीदी-बिक्री के दौरान ऋण पुस्तिका (किसान किताब) की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। यह कदम राज्य में पंजीयन प्रक्रिया को सरल और पेपरलेस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक महानिरीक्षक कार्यालय ने प्रदेश के सभी जिला पंजीयकों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि भूमि के पंजीयन के दौरान ऋण पुस्तिका की मांग न की जाए और ऑनलाइन डाटा के आधार पर सभी दस्तावेज सत्यापित किए जाएँ।
सरकार ने बताया कि कृषि भूमि के राजस्व अभिलेख अब ऑनलाइन अपडेट होते हैं और भूमि पर भारित ऋण की जानकारी भी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज रहती है। इसके अलावा पंजीयन समय विक्रेता के स्वामित्व की सत्यता भी ऑनलाइन डाटा से मिलान की जाती है। इस वजह से अब ऋण पुस्तिका की भौतिक प्रतियों की आवश्यकता समाप्त हो गई है।


अधिकारी बताते हैं कि पहले कई बार भौतिक ऋण पुस्तिका की कमी या विलंब के कारण खरीदार और विक्रेता दोनों को परेशानी होती थी। इससे पंजीयन प्रक्रिया में बाधा आती थी और शासन की छवि पर भी असर पड़ता था।
अब ऑटो म्यूटेशन सिस्टम के तहत पंजीयन होते ही खसरे का बटांकन हो जाता है और नवीन बी-1 जनरेट हो जाता है, जिसमें क्रेता और विक्रेता दोनों के पास भूमि की जानकारी स्वतः अद्यतन होती है। प्रदेश में जमीन के पंजीयन और अन्य कार्य पूरी तरह ऑनलाइन हो रहे हैं, जिससे यह प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और सुरक्षित बन गई है।
एसएमडी अधिकारियों के अनुसार, यह कदम किसानों और भूमि कारोबारियों की समस्याओं को दूर करने के साथ ही राज्य में डिजिटल पंजीयन प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। अब भूमि के स्वामित्व और फसल विवरण की पुष्टि ऑनलाइन डाटा से अनिवार्य रूप से होगी और भौतिक ऋण पुस्तिका की मांग पूरी तरह समाप्त कर दी गई है।