Hindenburg Research : नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दोनों का अडाणी ग्रुप की ऑफशोर कंपनियों से संबंध है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं, और SEBI चेयरपर्सन पर सीधे निशाना साधा है।
Hindenburg Research : हिंडनबर्ग रिपोर्ट में क्या हैं आरोप?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने अडाणी मनी सिफोनिंग स्कैंडल में गुमनाम विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि SEBI ने पिछले 18 महीनों में अडाणी के कथित अघोषित मॉरीशस और विदेशी शेल कंपनियों के जाल में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है, जिससे अडाणी समूह पर उठ रहे सवाल और गहरे हो गए हैं।
Hindenburg Research : विपक्ष का तीखा हमला
विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने SEBI चेयरपर्सन पर निशाना साधते हुए पूछा है, “रक्षकों की रक्षा कौन करेगा?” तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया कि SEBI चेयरपर्सन भी अडाणी समूह में निवेशक हैं, जो कि क्रोनी कैपिटलिज्म का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने जांच एजेंसियों से इस मामले में कार्रवाई की मांग भी की है।
Hindenburg Research : AAP का आरोप
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, अडाणी ग्रुप ने मॉरीशस की फर्जी कंपनियों में भारत के हजारों घोटालेबाजों का पैसा लगाया। उन्होंने कहा कि गौतम अडाणी ने फर्जी कंपनियों के माध्यम से अपने समूह की कंपनियों के शेयरों की खरीद कराई और दाम बढ़वाए, जिससे आम निवेशकों का नुकसान हुआ।
Hindenburg Research : सुधांशु त्रिवेदी की प्रतिक्रिया
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हुए हैं और कांग्रेस का विदेशी कंपनियों के साथ गठबंधन है। त्रिवेदी ने राहुल गांधी के ब्रिटिश कंपनी में काम करने का हवाला देते हुए कहा कि विदेशी कंपनियों के साथ कांग्रेस का रिश्ता संदिग्ध है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग देश में आर्थिक अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि पहले एलआईसी और एचडीएफसी को बदनाम किया गया। त्रिवेदी ने यह भी दावा किया कि जब भी संसद का सत्र चलता है, विदेश से रिपोर्ट आती है, जो संसद सत्र के दौरान प्रस्तुत की जाती हैं।
Hindenburg Research : जयराम रमेश ने क्या कहा
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अब पता चला कि संसद की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए क्यों स्थगित कर दिया गया। संसद की बैठक 12 अगस्त तक निर्धारित थी, लेकिन उसे 9 अगस्त को ही स्थगित कर दिया गया। एक अन्य पोस्ट में रमेश ने सेबी प्रमुख पर निशाना साधा और रोमन कवि जुवेनल के ‘व्यंग्य’ से प्रेरित होकर लैटिन मुहावरे- ‘क्विस कस्टोडिएट इप्सोस कस्टोड्स’ का इस्तेमाल किया। उन्होंने पूछा कि पहरेदार की रखवाली कौन करेगा? कांग्रेस ने इस मुद्दे को संसद के मानसून सत्र से जोड़ते हुए सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने X पोस्ट में कहा कि SEBI के खिलाफ लगे इन आरोपों के कारण ही संसद सत्र को जल्दी खत्म कर दिया गया।
Hindenburg Research : SEBI की प्रतिक्रिया और जांच की स्थिति
SEBI ने पहले से ही 13 अपारदर्शी विदेशी संस्थाओं की जांच की बात कही थी, जिन्होंने अडाणी समूह की पांच कंपनियों में 14 से 20 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखी थी। हालांकि, इन जांचों की स्थिति को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। SEBI चेयरपर्सन माधबी बुच ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है, और कहा है कि ये आरोप पूरी तरह से झूठे हैं।
Hindenburg Research : पूरे मामले पर बुच दंपति ने अपने बयान में कहा
बुच दंपति ने अपने बयान में कहा, “हिंडनबर्ग की 10 अगस्त 2024 की रिपोर्ट के संदर्भ में, हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में हमारे ऊपर लगाए गए सभी बेबुनियाद आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब की तरह है।” उन्होंने आगे कहा, “पिछले कुछ वर्षों में SEBI को सभी आवश्यक वित्तीय रिकॉर्ड पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं।” बुच दंपति ने यह भी उल्लेख किया कि SEBI द्वारा हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई की गई है और कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनके अनुसार, हिंडनबर्ग ने इसके जवाब में उनके चरित्र पर हमला करने का विकल्प चुना है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
बुच दंपति ने साफ किया कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है और वे पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। उन्होंने अपने जीवन और वित्तीय लेन-देन को पूरी तरह पारदर्शी बताते हुए कहा कि ये सभी रिकॉर्ड पहले से ही नियामक प्राधिकरणों के पास हैं। इस बयान के बाद, SEBI प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवालों पर भी विराम लग सकता है। हालांकि, इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है, और विपक्षी दल सरकार और SEBI से और स्पष्टता की मांग कर सकते हैं।