Halshasthi  हलषष्ठी – बलराम जयंती : प्रत्येक काल में जिस सत्ता का अस्तित्व रहता है, भगवान की वही शक्ति “शेष” कहलाती है

Halshasthi  

Halshasthi  हलषष्ठी – बलराम जयंती 

Halshasthi भगवान श्री कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता हलधर भगवान बलराम जी की जयंती व माताओं-बहनों की मान्यतानुसार संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के पर्व हलछठ ‘हरछठ’ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं…!!

भगवान बलदाऊ जी महाराज की कृपा से आप सभी आरोग्य हों एवं सुख, समृद्धि, संपन्नता प्राप्त हो ऐसी कामना हैं।

शेषावतार बलराम जी को भगवान श्री कृष्ण की शक्ति के रूप में ही प्रणाम किया गया है। शेष अर्थात सिर्फ शेषनाग नहीं अपितु जगत से पहले और जगत प्रलय के बाद भी जो सत्ता विद्यमान रहती है, प्रत्येक काल में जिस सत्ता का अस्तित्व रहता है, भगवान की वही शक्ति “शेष” कहलाती है। बल की अधिकता के कारण भी इनको बलराम कहा जाता है।

माँ देवकी के गर्भ से इनको खींचकर यानि कर्षण कर माँ रोहणी के गर्भ में प्रतिस्थापित किया गया इसलिए इनको “संकर्षण” भी कहा जाता है। यह बलराम जी की सेवा का ही परिणाम था कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने पूर्व जन्म में इनकी सेवा की इच्छा प्रकट की थी। सेवा से ही प्रभु को अपना बनाया जा सकता है।

जो बल गौ-ब्राह्मण को कष्ट देने में, परस्पर द्वेष में, दूसरों के अहित में, धर्म की उपेक्षा में, अन्याय में , अत्याचार में , दुष्कृत्यों में और अधर्म में प्रयोग किया जाता है, वही अभिमान है। और जो बल गौ-ब्राह्मणों की सेवा में, परस्पर मैत्रीभाव में, समाज के उत्थान में, सत्संगति में, दीनजनों की सेवा में, परोपकार में, परमार्थ में, परहित में और सतत धर्म में प्रयोग किया जाता है, बस वही बल ही तो बलराम है।

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Halshasthi  ब्रज के राजा श्री दाऊ दयाल जी महाराज के पावन प्राकट्य उत्सव की आप सभी को पुनः अनंत शुभकामनाएं।