:संजय सोनी:
भानुप्रतापपुर। नगर सहित क्षेत्र में गुरुपूर्णिमा पर्व श्रद्धापूर्वक मनाई गई। श्री सांई मंदिर में मंगलवार को सुबह से भक्तजनो के द्वारा श्री सांई बाबा का अभिषेक हवन पूजन के साथ ही प्रसादी वितरण किया गया। सुबह से शाम तक मंदिरों में भजनकीर्तन की आवाज गूंजती रही।
बता दे कि सनातन धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। तभी तो संत करीबदास लिखते है कि ” गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये”।
पंडित अविनाश महाराज ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन और आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व होता है। वैसे तो हर माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है लेकिन आषाढ़ माह की पूर्णिमा गुरु को समर्पित होती है।

इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करते हुए उनका नमन करते हैं। गुरु ही व्यक्ति को अज्ञानता से निकालकर प्रकाश रूपी ज्ञान की तरफ ले जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ है। वेद व्यास जी ने पहली बार इस जगत को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु की उपाधि दी गई हैं।
महाराज जी ने कहा कि जीवन मे अनेक गुरु मिलते है जिसके मार्गदर्शन से हम हर क्षेत्र में आगे बढ़ते जाते है। वही दीक्षा देने वाले गुरु जीवन मे एक ही होता है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष निखिल शिवहरे ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष गुरुपूर्णिमा विशिष्ट संयोग के साथ गुरुवार को है। इस पावन अवसर पर
श्री साईबाबा मंदिर में गुरुपूर्णिमा का पर्व मनाया गया ।जिसमें प्रातः 10 बजे सद्गुरु साई नाथ महाराज का मंत्रों द्वारा अभिषेक कर नव वस्त्र आभूषण अर्पण किया गया।इसके बाद 11 बजे से सद्गुरु नाम पूजन व आहुति अर्पण यज्ञ महाआरती की जायेगी।तत्पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।