Gunny market आहिस्ता-आहिस्ता जोर पकड़ रहा बारदाना बाजार

Gunny market

राजकुमार मल

Gunny market पैबंद और रफू बारदाना मजबूत

Gunny market भाटापारा- जूट बारदाने के उलट, प्लास्टिक की बोरियों में मजबूती का रुख बनने लगा है। हैरत की बात यह है कि चिल्हर खरीदी भी इसमें चालू हो चुकी है। इधर रफू और पैबंद लगाने वाले कारीगरों की पूछ-परख के साथ कामकाज के लिए जरूरी तैयारियां जोर पकड़ने लगीं हैं।

 

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Gunny market पुराना बारदाना बाजार में पहुंची उपभोक्ता मांग

दीप पर्व के आसपास अर्ली वैरायटी की फसल आने की संभावना बनती नजर आ रही है। इस बीच मानसून के पहले दौर में की गई बोनी की फसलों में बालियां निकलने लगीं हैं। परिपक्वता अवधि में आ रही फसलों को देखते हुए बारदाना बाजार सबसे पहले तैयारियां कर रहा है क्योंकि खलिहान में फसल के पहुंचने के बाद पहली जरूरत इसकी ही होगी। लिहाजा जूट, खाद तथा खाद्य सामग्रियों की प्लास्टिक बोरियों की मरम्मत और बिक्री का काम आहिस्ता-आहिस्ता जोर पकड़ रहा है।

Gunny market इसलिए निकली मांग

परिवहन में आसानी। उपयोग के बाद सुविधाजनक भंडारण। जूट बैग की तरह सड़न या गलन जैसी समस्या से मुक्त होना प्लास्टिक की बोरियों की बढ़ती मांग की प्रमुख वजह है। इसके अलावा हर उपभोक्ता वर्ग की क्रय शक्ति में पहुंचने वाली कीमत भी बड़ी वजह है। इसलिए मांग में बढ़त के संकेत हैं।

Gunny market कीमत में मजबूती

उर्वरक की खाली बोरियां, मांग के पहले क्रम पर हैं। मजबूती की वजह से शीर्ष पर चल रही ऐसी खाली बोरियां 10 से 14 रुपए प्रति नग में खरीदी जा सकेंगी। शक्कर, आटा, सूजी और मैदा की खाली बोरियां अपेक्षाकृत कमजोर होतीं हैं इसलिए इनकी खरीदी 12 रुपए प्रति नग पर की जा सकेगी। रफू किए हुए जूट बैग 16 से 18 रुपए और पैबंद लगा बारदाना 14 से 16 रुपए प्रति नग की दर पर विक्रय किए जा रहे हैं।

कारीगरी की दर स्थिर

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बीते बरस रफू और पैबंद लगाने के हुनरमंद कारीगरों को जैसी कीमत दी जा रही थी, वह दर इस बार भी वही है। यानी सीजन के पहले दौर में रफू करने की एवज में 1 रुपए 50 पैसे प्रति बोरी के हिसाब से भुगतान हो रहा है तो पैबंद लगाने वाले कारीगरों को प्रति बोरी 3 रुपए की मजदूरी दी जा रही है।

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