विद्युत कार्य में भारी लापरवाही उजागर:बिना सुरक्षा उपकरण ऊंचे पोलों पर काम करने को मजबूर श्रमिक, कलेक्टर ने दिए कार्रवाई के संकेत

महासमुंद। शहर में चल रहे विद्युत कार्यों के दौरान प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। गौरव पथ परियोजना के तहत बिजली के खंभों पर तार खींचने का कार्य कर रहे श्रमिक बिना किसी सुरक्षा उपकरण के अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते नजर आए। करीब 40 फीट ऊंचे बिजली के पोलों पर चढ़े श्रमिकों के पास न तो हेलमेट था, न सेफ्टी बेल्ट, न ही डिस्चार्ज रॉड जैसे अनिवार्य सुरक्षा साधन।

इस लापरवाही ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि यदि कोई बड़ा हादसा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी।

गौरव पथ परियोजना के तहत चल रहा कार्य

जानकारी के अनुसार महासमुंद नगर के बरोण्डा चौक से कलेक्टर कॉलोनी तक 2.3 किलोमीटर लंबी सड़क को गौरव पथ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत सड़क चौड़ीकरण, पेड़ों की कटाई और बिजली के खंभों की शिफ्टिंग का कार्य जारी है। पूरे प्रोजेक्ट के लिए करीब 10 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से लगभग सवा करोड़ रुपये बिजली के पोलों की शिफ्टिंग पर खर्च किए जाने हैं।

बिजली के पोल लगाने और नई लाइन बिछाने का कार्य जांजगीर की एक निजी फर्म को सौंपा गया है। ठेकेदार द्वारा 11 केवी और 33 केवी लाइन के लिए 13 मीटर, 11 मीटर और 9 मीटर ऊंचाई के पोल लगाए जा रहे हैं। कुल 60 से 70 पोलों पर तार बिछाने का कार्य प्रस्तावित है।

नियमों की अनदेखी

नियमों के अनुसार इस तरह के विद्युत कार्यों में श्रमिकों को हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट, हैंड ग्लव्स और डिस्चार्ज रॉड जैसे सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना अनिवार्य होता है, लेकिन मौके पर श्रमिक बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के काम करते पाए गए।

हैरानी की बात यह है कि यह पूरा कार्य पीडब्ल्यूडी और विद्युत विभाग की निगरानी में हो रहा है। वरिष्ठ अधिकारी रोजाना इसी मार्ग से गुजरते हैं, इसके बावजूद श्रमिकों की सुरक्षा पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

विद्युत विभाग ने दिए नोटिस के संकेत

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए महासमुंद विद्युत विभाग के कार्यपालन अभियंता पी. आर. वर्मा ने कहा कि बिना सुरक्षा उपकरण के किसी भी स्थिति में कार्य नहीं कराया जाना चाहिए। यदि ऐसा पाया गया है तो संबंधित एजेंसी को नोटिस जारी किया जाएगा।

कलेक्टर का बयान

इस पूरे मामले पर महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने कहा कि मामला संज्ञान में लाया गया है। संबंधित विभाग से चर्चा कर श्रमिकों को जल्द आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।

सवालों के घेरे में निगरानी व्यवस्था

गौरतलब है कि यह कार्य विद्युत विभाग की निगरानी में किया जा रहा है, इसके बावजूद ठेकेदार द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी और जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। आरोप है कि लागत बचाने के लिए श्रमिकों की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है, जबकि अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं।

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