नई दिल्ली। पिछले एक सप्ताह से जारी इंडिगो संकट ने देशभर के यात्रियों को भारी परेशानी में डाल दिया है। बड़ी संख्या में उड़ानें रद होने और देरी के कारण यात्रियों को रिफंड, लगेज और रीबुकिंग के लिए एयरपोर्ट पर घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा। स्थिति बिगड़ने पर सरकार लगातार निगरानी बनाए हुए थी। अब केंद्रीय उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने संसद में घटना पर विस्तृत बयान दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने साफ कहा कि हाल की घटनाओं के बाद सरकार सख्त रुख अपनाएगी और ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए सभी एयरलाइंस के लिए एक स्पष्ट उदाहरण स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फ्लाइट रद और देरी से यात्रियों को हुई असुविधा को देखते हुए कड़े सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स का पालन अनिवार्य है।
मंत्री नायडू ने बताया कि FDTL नियम लागू होने से पहले 1 दिसंबर को इंडिगो से बैठक हुई थी, जिसमें सभी बदलावों की जानकारी दी गई थी। उस समय एयरलाइन ने किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई थी, लेकिन 3 दिसंबर से अचानक उड़ानें रद होने लगीं। सरकार ने तत्काल मामले का संज्ञान लेकर जांच शुरू की।
उन्होंने कहा कि सरकारी हस्तक्षेप के बाद पिछले दो दिनों में स्थिति में सुधार देखा गया है। सॉफ्टवेयर समस्या को लेकर भी जांच की जा रही है। नायडू ने चेतावनी देते हुए कहा कि मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिससे भविष्य के लिए एक मिसाल कायम हो सके।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार पायलटों, क्रू मेंबरों और यात्रियों—तीनों के हितों को ध्यान में रखकर काम करती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इंडिगो को अपने क्रू और रोस्टर प्रबंधन की जिम्मेदारी निभानी थी, लेकिन असफलता के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्होंने दोहराया कि जांच जारी है और दोषी पाए जाने पर कठोर कदम उठाए जाएंगे।