Gothanas : मानव एवं पशुओं के लिए अभिशाप, ‘बधई’ पहुंची गौशाला और गौठानों में,  घरों में ‘बोट फ्लाई’ का हमला

Gothanas :

राजकुमार मल

 

Gothanas : मक्खी और मच्छर के लिए आदर्श तापमान है मौसम का यह रूप 

 

Gothanas : भाटापारा– बारिश और धूप। उमस भरी गर्मी। मौसम का यह रूप मक्खी और मच्छर के लिए आदर्श तापमान है। यही वजह है डिप्टेरा परिवार के यह दोनों कीट, मानव और मवेशियों तक आसान पहुंच बना रहे हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा स्वाभाविक रूप से बढ़ रहा है।

मक्खियों की आबादी तेजी से बढ़ रही है समानांतर में मच्छर भी अपना परिवार बढ़ा रहे हैं। मानव तो बचाव का उपाय खोज ले रहा है लेकिन वे मवेशी तेजी से संक्रमण के घेरे में आ रहे हैं, जो गौशाला या गौठान में रहते हैं। घरेलू मवेशियों की हालत भी कमोबेश एक समान है। खतरा इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि प्रातः और संध्या काल में यह कीट सर्वाधिक सक्रियता दिखा रहे हैं।

बेहद खतरनाक बधई

 

 

बोट फ्लाई के नाम से पहचानी जाने वाली बधई मक्खी अपने समकक्ष मक्खियों में से सर्वाधिक खतरनाक मानी गई है। बेहद सावधानी से और शीघ्र हमला करने वाली यह प्रजाति अपने मुंह से त्वचा को भेदती है और रक्त चूसती है। 50 मील प्रति घंटा की गति से उड़ने वाली बधई, नॉगाना और घोड़ मक्खी के झुंड गौशाला और गौठानों में तेजी से आबादी बढ़ा रहे हैं।

ग्लोसाइना और घरेलू मक्खी

 

डिप्टेरा परिवार की यह मक्खियां, मानव आबादी पर हमला करतीं हैं। गोधूलि और संध्या काल में अति सक्रिय रहने वाली इन दोनों मक्खियों के मुंह पर नुकीले रेशे होते हैं, जिनकी मदद से भेदन और रक्त चूसने का काम करती हैं। दिलचस्प यह है कि ठोस और कठोर हिस्से, हमले से बाहर होते हैं। यही वजह है कि शरीर के सबसे कोमल हिस्से इनके निशाना बनते हैं।

यहां रहवास और प्रजनन

 

 

गोबर, गीली मिट्टी, कूड़ा, जल-जमाव, पौधों के उत्तक और वेजिटेबल वेस्ट, इन दोनों के लिए आदर्श हैं। छिपने की ऐसी जगह पर ही अंडे देते हैं। छह से दस सप्ताह के अपने कुल जीवनकाल में मक्खियां और मच्छर 2,000 से अधिक अंडे दे सकने में सक्षम हैं।

कम नहीं यह भी

 

 

डेक्स डॉर्सेलिस और वार्बल मक्खी के साथ कैबेज मैर्गोट नामक मक्खियां लौकी, तुरई, तरबूज, करेला, टमाटर, हल्दी, अदरक, कपास और धान जैसी फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाती हैं। कुछ ऐसी प्रजातियों की भी पहचान की गई है, जो आम, बेर, तरबूज और खरबूज की फसल पर हमला करतीं हैं।

मानव एवं पशुओं के लिए अभिशाप

 

मनुष्य एवं पालतू पशुओं के लिए मक्खी एक अभिशाप है। यद्यपि यह स्वयं जहरीली या रोग उत्पादक नहीं होती, किंतु रोगों को फैलाने में इसका कोई जोड़ नहीं है। इसका विनाश एवं इससे बचाव हमारे लिए आवश्यक होता है। इसके बचाव के तीन उपाय हो सकते हैं – वयस्क मक्खी का विनाश, मक्खी के प्रजनन तथा रोग फैलाने को रोककर।

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डॉ. अर्चना केरकट्टा, सहायक प्राध्यापक (कीट विज्ञान), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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