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Gorbachev Devarshi and Putin गोर्बाचेव देवर्षि और पुतिन ....

Gorbachev Devarshi and Putin गोर्बाचेव देवर्षि और पुतिन ….

हरिशंकर व्यास

Gorbachev Devarshi and Putin गोर्बाचेव देवर्षि और पुतिन …

Gorbachev Devarshi and Putin  सत्य वापिस जाहिर हुआ। दुनिया और इतिहास को वे ही याद रहते हैं जो बतौर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री मानवीय सरोकारों का लिबरल राज बनाते हैं। यह बात वैश्विक पैमाने पर 91 वर्षीय गोर्बाचेव की मृत्यु से फिर साबित हुई। उन्हें पूरी दुनिया में श्रद्धांजलि मिली।

उस दिन तमाम वैश्विक अखबारों और खुद रूस में भी गोर्बाचेव पर लिखा गया। जबकि राष्ट्रपति पुतिन ने उन्हें उन रूसियों में खलनायक बनाया हुआ था जो सोवियत संघ के बिखरने के लिए उन्हें कोसते हैं। मगर पुतिन ने भी श्रद्धांजलि दी। रूसियों ने उन्हें कतई वैसे नहीं भुलाया जैसे कथित लौह पुरूष स्टालिन, ख्रुश्चेव, ब्रेजनेव को कूड़ेदानी में फेंका हुआ है।

विश्व राजधानियों, दुनिया के एलिट, मीडिया में तो खैर गोर्बाचेव मानव देवता, मानव गरिमा-आजादी के इतिहास पुरूष के नाते याद किए गए।

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सोचें, क्या ऐसे पुतिन को दुनिया या रूसी याद करेंगे? आधुनिक काल के सौ-दो सौ सालों का यह इतिहास सच है कि हिटलर, स्टालिन, माओ, ईदी अमीन, याह्या खान, कज्जाफी, सद्दाम से लेकर लातीनी अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और इस्लामी देशों के वे तमाम तानाशाह अपनी कब्र में इस स्यापे के साथ तड़प रहे होंगे कि एक व्यक्ति भी उन्हें रोने वाला नहीं।

याद करें सोवियत संघ के दिनों में पूरी दुनिया में स्टालिन जैसा तानाशाह अपने महान होने, छप्पन इंची छाती के देवता होने का कैसा वैश्विक प्रोपेगेंडा बनाए हुए था। जैसे आज भारत में घर-घर सोशल मीडिया से नरेंद्र मोदी महान बने हुए हैं वैसे तब भारत के घरों में सोवियत पत्रिकाएं पहुंचती थीं। प्रोपेगेंडा वॉर में सोवियत सिस्टम हिटलर के प्रोपेगेंडा का बाप था। ऐसी ही कज्जाफी भी अपने वक्त में अपनी ग्रीन पुस्तकें बंटवाता था।

ये सभी तानाशाह बेमौत मरे। इतिहास और देश के कलंक हुए। वैसी ही दशा रूस के मौजूदा राष्ट्रपति पुतिन की होनी है। अपनी सनक, अपने अकड़ूपन और कट्टरता से पुतिन ने गोर्बाचेव की याद में लोगों को अहसास कराया है कि उन्होंने रूस की नई लोकतांत्रिक शुरुआत को कैसा खा डाला है। रूस का वर्तमान और भविष्य बना कैसा दिया है!

India UK भारत ब्रिटेन से बड़ा सेठ लेकिन..

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