पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, यह उत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर चतुर्दशी तक चलता है.
इस साल यह त्योहार 27 अगस्त से शुरू होकर 7 सितंबर को समाप्त होगा. गणपति को विघ्नहर्ता माना जाता है, लेकिन यदि उनकी स्थापना वास्तु शास्त्र के अनुसार की जाए तो घर में और भी अधिक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
ऐसे में आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणपति स्थापना के वक्त किन बातों का विशेष ध्यान रखाना चाहिए.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के लिए बैठे हुई मुद्रा में भगवान गणेश की मूर्ति लाना सबसे उत्तम होता है. ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
गणेश जी की मुद्रा का चयन
वहीं, पंडालों के लिए खड़े, नृत्य करते हुई मुद्रा में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जा सकती है.
गणेश जी की प्रतिमा लेते समय उनकी सूंड का बाईं ओर मुड़ा होना शुभ माना जाता है. यह सुख-समृद्धि और आनंद का प्रतीक है.
मान्यता है कि दाईं ओर झुकी हुई सूंड वाली गणेशजी की मूर्ति की पूजा करने के कठिन नियम होते हैं. उन्हें प्रसन्न करना भी बेहद मुश्किल होता है.
वास्तु शास्त्र के अनसुार, भगवान गणेश के प्रिय मोदक और उनके वाहन मूषक प्रतिमा में अवश्य होने चाहिए. ऐसी प्रतिमा घर लाना बेहद मंगलकारी माना गया है.
वास्तु के अनुसार सफेद रंग की प्रतिमा सबसे शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह घर में शांति और खुशहाली लाती है. वहीं सिंदूरी रंग की प्रतिमा उन्नति का प्रतीक होती है. ध्यान रखें कि मूर्ति को घर में चतुर्थी से पहले किसी शुभ मुहूर्त पर ही लाना शुभ माना जाता है.