प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से -इस अंधकार से लड़ना होगा
From the pen of editor-in-chief Subhash Mishra – this darkness has to be fought
-सुभाष मिश्र
नशा एक सामाजिक बुराई है, कई तरह के अपराध और हादसों का जड़ नशा है. दुरभाग्य से युवा पीढ़ी इसकी जद में आ रहा है, ये समस्या सिर्फ छत्तीसगढ़ या कह लें हमारे देश की ही नहीं है, बल्कि ये एक वैश्विक समस्या बन चुका है. हाल ही में मैक्सिको में बंदूकधारियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर 18 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। मरने वालों में मैक्सिको सिटी के मेयर भी शामिल थे. वारदात नशे के कारोबार में लिप्त एक गैंग ने अंजाम दिया था, मैक्सिको ड्रग्स और हथियार के कारोबार का एक बड़ा बाजार बन चुका है, यहां इस तरह के गैंगवार होना आम बात है. एक तरह से ये देश नशे के गिरफ्त में है.
इसी तरह दुनिया के कई देश इस तरह अवैध कारोबार के हब बने हुए हैं. नशे के सौदागर इन देशों में बैठकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी कर अपना काला कारोबार कर रहे हैं.
नशे का कुप्रभाव से हम सब वाकिफ हैं. जिस तेजी से युवा इसकी पकड़ में आ रहे हैं उसी तेजी से भविष्य के सामने अंधेरा छा रहा है. इसी की चिंता कते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पुलिस महकमे से अवैध नशे के कारोबार पर रोक लगाने की नसीहत दी है.
नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 15 साल से अधिक आयु के 43.01 फीसद युवा तंबाकू और 30.08 फीसदी युवा शराब की लत से ग्रसित है.
इसी तरह 15 साल से अधिक उम्र की 17.03 फीसदी युवती तंबाकू और 5 प्रतिशत युवती को शराब की लत है. सर्वे के मुताबिक प्रदेश में महिलाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ी है. इसके साथ ही नशे के कारण प्रदेश में नशे के कारण मानसिक रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है.
छत्तीसगढ़ में पड़ोसी राज्य ओडिशा से बड़े पैमाने में गांजे की तस्करी होती है. ओडिशा के सीमावर्ती इलाके में जहां खासतौर पर नक्सलियों का प्रभाव है वहां पर अवैध रूप से गांजे की खेती होने के बाद कई बार सामने आ चुकी है. ये गांजा छत्तीसगढ़ के रास्ते देश के कई शहरों तक पहुंचाया जाता है. एक्सपर्ट इस गांजे की आय में नक्सलियों की भागीदारी का भी दावा करते रहे हैं. ऐसे में हमारे प्रदेश के लिए ये नशा का कारोबार दोहरी मार करने वाला साबित हो रहा है. समाजिक बुराई के तौर पर देखें तो महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में नशे की बेहद अहम भूमिका है. प्रदेश में आए दिन नशे की हालत में हत्या जैसी वारदात सामने आती रहती है.
छोटी उम्र के बच्चे भी आजकल नशा करने लगे हैं। ऐसे में स्कूलों के प्रबंधनों को भी इस बारे में विचार करने की जरूरत है, जिस तरह से आज ड्रग्स और नशे को ग्लैमराइज किया जा रहा है ऐसे में युवा या कम उम्र के किशोरों के फिसलने का खतरा बढ़ते जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में खासतौर पर रायपुर, भिलाई और बिलासपुर जैसे शहरों में जहां ड्रग्स माफियों ने पैर पसारे हैं, वहीं छोटे शहर औऱ गांव के युवा गुटखा सिगरेट और शराब का सेवन बेहद कम उम्र में शुरू कर दे रहे हैं. और यही युवा जब शहर का रुख करता है तो आसानी से ड्रग्स या अवैध नशे की गिरफ्त में आ जाता है.
हमारे फिल्मों के सुपर स्टार जब पान मसाला का विज्ञापन करते नजर आ रहे हैं ऐसे में समाज के सामने अपने बच्चों और युवाओं को नशे की गिरफ्त से दूर रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है. ऐसे में मुख्यमत्री बघेल की चिंता जायज है. उम्मीद है कि पुलिस प्रशासन के साथ ही समाज भी उनकी चिंता को समझेगा और नशे के खिलाफ बच्चों को जागरुक करेगा.