From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra – The film Adipurush is in controversies as soon as it is released
– सुभाष मिश्र
सिनेमा कलात्मकता का बेहतरीन उदाहरण है बावजूद इसके आजकल सिनेमा विवादों का सबसे आसान माध्यम। यदि कोई फि़ल्मकार धर्म, जाति, समुदाय या ऐतिहासिक, धार्मिक विषय वस्तु पर फि़ल्म बनाता है तो उसे रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर वो सारी छूट नहीं मिल सकती। जिसकी उम्मीद मौजूदा समय में करता है। द कश्मीर फ़ाईल्स, केरला स्टोरी पर उठा विवाद आदिपुरुष पर आकर टिक गया है। दरअसल, फिल्म आदिपुरुष जो भगवान राम, माता सीता, हनुमानजी रावण आदि चरित्रों के इर्द-गिर्द नये फार्मेट में तैयार की गई है, उसकी बनावट, डॉयलॉग्स और वेशभूषा को लेकर रिलीज होते ही कंट्रोवर्सी का शिकार हो गई है। फि़ल्मकार ने फि़ल्म निर्माण में प्रत्यक्ष या परोक्ष मदद के लिए भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, नेताओं के प्रति कृतज्ञता जताई है, जो अब उनके गले की हड्डी बन रही है। फिल्म के किरदार और डायलॉग्स की वजह से भी यह काफी ट्रोल हो रही है। सोशल मीडिया से लेकर आम लोग भी इसी फिल्म की बातें कर रहे हैं, कहीं-कहीं तो फिल्म को बैन करने की मांग हो रही है। इसका कारण फिल्म के जरिए रामायण के साथ छेड़छाड़ माना जा रहा है। हालांकि, धर्म से जुड़े होने के कारण लोग इस फिल्म को देखने जा रहे हैं, लेकिन फिल्म देखने के बाद दर्शकों की नाराजगी साफ झलक रही है। फिल्म के टीजर के साथ ही विवादों में घिर गई थी। इसके डायलॉग भी विवाद के कारण हैं। बता दें कि इस फिल्म पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए है जिसमें किरदारों और ग्राफिक्स पर भी खासा पैसे खर्च किया गया है, इसके बावजूद यह फिल्म विवादों में है। सबसे ज्यादा विवाद रामायण के पौराणिक किरदारों के लुक और उनके डायलॉग्स को लेकर ही हो रहा है। फिल्म की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कई जगहों से विरोध के स्वर उठ गए और बात करें राजधानी रायपुर की तो यहां भी इसका आसार साफ देखा जा सकता है। यह मामला केवल लोगों तक ही सीमित नहीं बल्कि मामला दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंच गया है। कोर्ट में फिल्म के खिलाफ याचिका दायर की गई है और इसे दायर करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता हैं। इस याचिका में फिल्म के कई सीन, डायलॉग्स और किरदारों को हटाने की मांग की गई है। याचिका दायर करने वाले विष्णु गुप्ता ने कहा है कि इस मूवी ने हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। हमारे आराध्य देवताओं को गलत तरीके से दिखाया गया है। इससे हमारी भावनाएं आहत हुई हैं ये काफी आपत्तिजनक है। इस वजह से फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगनी चाहिए। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस तरीके से फिल्म में भगवान राम, सीता माता, हनुमान और रावण को दिखाया गया है, उसका वर्णन महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस में नहीं दिखाया गया है।
‘आदिपुरुष की रामायण इनकी रामायण से एकदम विपरीत है। इस मूवी ने हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है। फिल्म के डायलॉग्स को लेकर राइटर और डायरेक्टर ट्रोल हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि भगवान राम और हनुमान जी की ऐसी भाषा नहीं है। इस फिल्म में रामायण को मॉडर्न तरीके से दिखाया गया है। मैं कुछ कॉन्ट्रोवर्शियल डायलॉग आपके समक्ष रख रहा हूं जिन पर लोगों को आपत्ति है। इसमें पहली कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की। दूसरी तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया। तीसरी जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा उनकी लंका लगा देंगे। ऐसे कई डायलॉग हैं जो आपत्तिजनक है।
इन डायलॉग्स को लिखने वाले राइटर मनोज मुंतशिर को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। लोग उनसे सवाल कर रहे हैं कि ऐसे संवाद रामायण के किस वर्जन में लिखे हैं। क्या रामायण में ऐसे शब्दों का कहीं उल्लेख है।
हिंदी फि़ल्म ‘आदिपुरुष में सीता के किरदार से जुड़े एक डायलॉग पर नेपाल में विवाद खड़ा हो गया है। इस फि़ल्म में सीता को ‘भारत की बेटी बताया गया है। नेपाल की राजधानी काठमांडु के मेयर ने इसी डायलॉग पर आपत्ति जताई है। काठमांडु मेयर बालेंद्र शाह ‘बलेन ने कहा है कि जब तक आदिपुरुष में से सीता को भारत की बेटी बताने वाला संवाद हटाया नहीं जाएगा तब तक किसी भी हिंदी फि़ल्म को काठमांडु मेट्रोपॉलिटन सिटी में नहीं चलने दिया जाएगा।
रामकथा पर आधारित इस फि़ल्म को रावण से लेकर सीता समेत दूसरे किरदारों के फिल्मांकन पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ सोशल मीडिया पर फिल्म के डायलॉग को लेकर यूजर्स खूब आलोचना कर रहे हैं तो वहीं सियासी गलियारे में हलचल सी मच गई है। इस फिल्म को लेकर कई नेता बेबाकी से इस पर बयान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान देते हुए कहा कि आराध्य देव की छबि को बिगाडऩे का काम किया जा रहा है। हनुमान, राम का चेहरा भक्ति से पूर्ण होता था। आज राम को युद्धक और हनुमान को एंग्री बर्ड जिस तरह दिखाया जा रहा है तो ये ही कहा जा सकता है कि फिल्म आदिपुरुष का संवाद, भाषा सब अमर्यादित, स्तरहीन है।
भूपेश बघेल ने कहा कि, हमने जो रामचरितमानस और रामायण पढ़े और टीवी पर देखे हैं, उसके ठीक विपरीत आदिपुरुष फि़ल्म में दिखाया गया है। आदिपुरुष को आज की पीढ़ी देखेगी तो उस पर गलत प्रभाव पड़ेगा। बजरंगबली के मुंह से वो शब्द बोलवाए जा रहे हैं जो बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के शब्द होते हैं। वहीं वरिष्ठ आप नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आदिपुरुष फिल्म को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। संजय सिंह ने कहा कि फिल्म आदिपुरूष ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का, हिंदू धर्म का अपमान किया है और भाजपा के नेता इसका प्रचार कर रहे हैं। संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी ने भगवान राम, माता सीता और भगवान हनुमान का अपमान एक फि़ल्म बनवा कर किया है।