Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – चर्चा से ज्यादा व्यक्तिगत तल्खी

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर बोलते हुए पूरे रंग में नजर आए। उन्होंने भगवान शिव की तस्वीर संसद में दिखाते हुए सत्ता पक्ष को घेरा की भगवान का त्रिशूल अहिंसा का प्रतीक है लेकिन भाजपा हिंसा और झूठ की बात करती है। राहुल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं, वह 24 घंटे हिंसा, नफरत और झूठ बोलते रहते हैं। ये हिंदू हैं ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है कि सच के साथ खड़ा होना चाहिए और सच से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। राहुल गांधी के इस बयान पर पीएम मोदी ने भी आपत्ति ली थी और कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर बात है तो राहुल गांधी ने कहा कि मैंने भाजपा को हिंसक कहा है, नरेंद्र मोदी पूरा हिंदू समाज नहीं हैं। भाजपा पूरा हिंदू समाज नहीं है।
आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है। हाल ही में देश में चुनाव संपन्न हुए हैं, इस चुनाव में हर तरफ से नेताओं ने एक-दूसरे पर जुबानी हमले किए थे। एक दूसरे पर बेबाक अंदाज में हल्ला बोलने की ये शैली राहुल गांधी सदन तक लेकर आए हैं। वे संसद में चुनावी भाषण के अंदाज में कहते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या से चुनाव लडऩे का विचार किया था, लेकिन सर्वेक्षण में उन्हें बताया गया कि अयोध्या की जनता उन्हें हरा देगी, इसलिए पीएम मोदी वाराणसी गए और वहां से बचकर निकले। उन्होंने कहा पीएम मोदी अयोध्या के लोगों को छोड़ो, वे भाजपा वालों को डराते हैं। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आप नीतियों पर बोलिए। किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाना सही नहीं है। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के संबोधन का अंश लोकसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया है।
लंबे समय बाद सदन में पीएम मोदी और एनडीए सरकार को इतना तीखा विरोध का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी जिस अंदाज में नजर आए उससे विपक्ष के मजबूत होने की उम्मीद जगी है। जिस तरह से राहुल गांधी पेश आए, ये संकेत है कि अब विपक्ष लोकसभा में चुप नहीं बैठेगा। राहुल अब फ्रंटफुट पर ही खेलेंगे, जिस तरह से राहुल ने बीजेपी पर हमला किया, प्रधानमंत्री बहुत ज़्यादा भड़क गए। ऐसा पहले नहीं हुआ था। तीन बड़े नेता राहुल गांधी को जवाब देने के लिए खड़े हो गए। इधर, सदन के बाहर भाजपा के कई नेता सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के बयान की छोटी क्लिप साझा कर रहे हैं और उन पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के हैंडल्स और नेताओं की ओर से इसका जवाब दिया जा रहा है। नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं हैं जो हिंसा और नफऱत फैलाता है, वो हिंदू हो ही नहीं सकता।
मंगलवार को सत्ता और विपक्ष के कई नेताओं ने अभिभाषण पर चर्चा जारी रखा। सत्ता पक्ष ने राष्ट्रपति के भाषण पर धन्यवाद देने से ज्यादा राहुल गांधी के बयानों का जवाब देने में ज्यादा फोकस किया। आखिर में प्रधानमंत्री मोदी ने एक लंबा भाषण देते हुए राहुल गांधी और विपक्ष पर जमकर बरसे, हालांकि लगभग 2 घंटा 15 मिनट लंबे इस भाषण के दौरान विपक्ष शोर करता रहा और पीएम मोदी गरजते रहे। पीएम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 2024 से परजीवी पार्टी के रूप में जानी जाएगी। कांग्रेस जिसके साथ रहती है, उसी के वोट खा जाती है। मैं ऐसा आंकड़ों के आधार पर कह रहा हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी के हिंदू हिंसक वाले कल के बयान पर कहा ये गंभीर बात है कि हिंदुओं पर आरोप लगाने का झूठा षड्यंत्र हो रहा है। क्या हिंदू हिंसक होते हैं? देश इन्हें माफ नहीं करेगा। अब हिंदू समाज को सोचना पड़ेगा कि क्या ये अपमान कोई संयोग है या बड़े प्रयोग की तैयारी है।
उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए कहा कि आजकल बच्चे का मन बहलाने का काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि सदन में कल हमने यही बचकानी हरकत देखी है। कल यहां कहा गया कि मुझे इसने मारा, उसने मारा, यहां मारा, वहां मारा। सिम्पैथी हासिल करने के लिए नया ड्रामा खेला गया। जो सच्चाई जानते हैं कि हजारों करोड़ रुपए की हेराफेरी में जमानत पर बाहर हैं। ये ओबीसी लोगों को चोर बताने के मामले में सजा काट चुके हैं। इन्हें देश की सर्वोच्च अदालत से गैर-जिम्मेदाराना बयान देने पर माफी मांगनी पड़ी है। मोदी ने कहा एनडी सरकार ने बीते 10 साल में विकास को सबसे बड़ा संकल्प बनाया और अब देश को दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाने का संकल्प है। हर घर में पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए संकल्प है। विश्व में भारत की ताकत बढ़ रही है। ये युग हरित युग है।
भविष्य ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ा है। हम भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का हब बनाने के लिए संकल्पित हैं। 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में इन्फ्रास्टक्चर की भी बड़ी भूमिका होगी। पीएम ने कहा, जितना निवेश भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ।
हालांकि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जिस तरह की व्यक्तिगत तल्खी दिखी वैसी पहले कम ही नजर आई है। इस व्यक्तिगत बयानबाजी के चलते कई जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई और विपक्ष उस पर दबाव बनाने में नाकाम रहा।

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