Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – समाज में बढ़ता अपराध

Editor-in-Chief

From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra – Increasing crime in the society
– सुभाष मिश्र

पिछले दो दिनों से मीडिया में छाए दिल्ली के दर्दनाक हत्याकांड की चर्चा हर तरफ हो रही है। मीडिया में लगातार हत्या के लाइव वीडियो प्रसारित किए जा रहे हैं और मनोविज्ञान से लेकर धार्मिक मामलों के जानकार इस पर पूरे अधिकार के साथ बहस कर रहे हैं। इस मामले को लव जिहाद से लेकर कई तरह के रंग देने की भरपूर कोशिश हो रही है। हमारा साफ मानना है कि इस तरह के अपराध में कानून व्यवस्था को पूरी सख्ती से निपटना चाहिए, लेकिन इस पूरे मामले में जिस तरह से तत्काल नतीजे में पहुंचने की हड़बड़ी में राष्ट्रीय मीडिया नजर आ रहा है वो हैरान करने वाला है। आखिर इस तरह की वारदात कैसे हो रही है? कैसे देश की राजधानी में खुलेआम हत्या होती है और लोग तमाशा देखते रहते हैं? और इन्हीं तमाशबीनों को लेकर नेशनल मीडिया के रिपोर्टर लंबी-लंबी बात करते हैं। एक तरह खौफ और अविश्वास का वातावरण तैयार करते हैं। इस हत्याकांड को जितनी क्रूरता से अंजाम दिया गया है, उसका उदाहरण हमें आजकल ओटीटी प्लेटफॉर्म में दिखाई जाने वाले वेबसीरीज में मिलते हैं। कहीं न कहीं हिंसा को जिस तरह पेश किया जा रहा है, वो आज के युवा मन में घर कर रहा है। युवा किसी भी तरह के खारिज को पचा नहीं पा रहे हैं। वो इस तरह कड़ा कदम उठा लेता है या फिर नशे की लत में अपनी जिंदगी तबाह कर रहा है। इस दौर में पालकों की जिम्मेदारी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। वो अपने बच्चों पर नजर रखने के लिए पुराने जमाने के पिता की भूमिका में रहेंगे तो वो आज की पीढ़ी के अपने बेटे को नहीं समझ पाएँगे। जरूरत है उनके साथ दोस्ती करने की तभी आप उनके मन की बात समझ सकते हैं। उन्हें समय रहते सही मार्ग पर ला सकते हैं। अक्सर घरों में उपेक्षित होने के बाद युवा मनमानी पर उतरता है और अपने फैसले खुद लेने की सनक में कब वो गंभीर अपराध की दुनिया में प्रवेश कर जाता है, कोई नहीं जानता। दिल्ली के इस हत्याकांड या फिर हमारे आसपास हो रही कई वारदातों का इस तरह का सामाजिक पक्ष जरूर है, जिस पर आज विचार करना होगा।
देश में साल 2021 में 2020 के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि प्रति एक लाख की आबादी पर महिलाओं के खिलाफ अपराध 2020 में 56.5 फीसदी से बढ़कर 2021 में 64.5 फीसदी हो गए हैं। इनमें अधिकतर मामले (31.8 फीसदी) पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के हैं। एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले साल हर दिन दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार हुआ है। आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,892 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2020 की तुलना में 40 फीसदी से अधिक की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। साल 2020 में यह आंकड़ा 9,782 था। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सभी 19 महानगरों की श्रेणी में कुल अपराधों का 32.20 फीसदी हैं। हम ऊपर वेबसीरीज में दिखाए जाने वाली हिंसा की बात कह रहे थे। उसका सीधा असर समाज पर पड़ेगा ही। एक दौर था जब प्रेमी दिल टूटने पर तेरी गलियों में न रखेंगे कदम,गाया करते थे, अब कबीर सिंह की तरह का प्रेमी है जो आक्रमक है।
ऐसे में समाज में आ रहे बदलाव के मद्देनजर हमें नजरिये में भी बदलाव करना होगा। अपने रिश्तों को भी नए तरीके से बर्ताव और व्यवहार की जरूरत है, तभी इस पीढ़ी को बेहतर समझा जा सकेगा और युवाओं को भटकने से रोक पाएंगे। नहीं तो इस तरह के भयानक अपराध कहीं भी घट सकते हैं।

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