Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – चुनाव से पहले कितना एकजुट है विपक्ष

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

2018 विधानसभा चुनाव में हिंदी पट्टी में मिली जीत के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं। हिमाचल और कर्नाटक में मिली हार के बाद डगमगाया पार्टी का आत्मविश्वास न केवल लौटा है बल्कि ब्रांड मोदी को जो धक्का लगा था वो और मजबूती से स्थापित होता दिख रहा है। दरअसल इन तीनों राज्यों में भाजपा ने ‘मोदी की गारंटीÓ पर चुनाव लड़ा और लोगों ने उस पर अपनी मुहर लगाई। इसके बाद तीनों राज्यों में जिस तरह से सरकार बनाई गई वो भी हैरान करने वाला है। बहुत से नए चेहरों को स्थापित नामों पर तरजीह देकर भाजपा ने साफ निर्देश दे दिया है कि जो पार्टी के लिए जमीन की लड़ाई लड़ेगा पार्टी उसे ही प्रमोट करेगी। यानी परिवारवाद, स्थापित नाम, धनबल सबसे ऊपर है पार्टी के प्रति समर्पण। इसके अलावा पार्टी को संघ से मिलने वाली मदद को मिला दिया जाए तो भाजपा इस चुनाव के पहले बहुत मजबूत नजर आ रही है। इसके विपरित हम विपक्ष की तैयारियों और रणनीति का जायजा लें तो निराशा ही हाथ लगेगी।
दरअसल, मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने जिस ‘इंडियाÓ गठबंधन को खड़े करने की कोशिश की है वो अब तक आकार नहीं ले पाया है। किन मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाएगा, कौन अगुवाई करेगा, सीटों का बंटवारा कैसे होगा ये ऐसे सवाल हैं जिस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। यूपी और बिहार के साथ ही बंगाल दिल्ली पंजाब में समीकरण ऐसे हैं जहां इंडिया गठबंधन के घटक दल ही आमने-सामने होते हैं। ऐसे में वो एकजुट होकर जनता के पास कैसे जाएं किसे कितनी सीट मिले इसको साधने वाला कोई मजबूत समन्वयक इस वक्त विपक्ष की राजनीति में कोई नजर नहीं आ रहा है।
कोई ऐसी शख्सियत नजर नहीं आ रही है जिसके बातों की स्वीकार्यता तमाम दलों में हो ऐसे में इंडिया गठबंधन मोदी और शाह की जोड़ी का सामना कैसे कर पाएगा समझा जा सकता है। एक तरफ अयोध्या में होने जा रहे राम मंदिर के उद्घाटन को भाजपा एक बहुत बड़े इवेंट में तब्दील कर रही है। इसका सीधा लाभ लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिलना तय नजर आ रहा है। आस्था और सियासत के इस मिलन को भाजपा ऐसे राज्यों में भी भुनाने की कोशिश में है जहां अभी उसकी जड़े ठीक से जम नहीं पाई है। इनमें दक्षिण के राज्य तमिलनाडु, केरल के साथ ही ओडिशा और पंश्चिम बंगाल भी शामिल है। अघोषित रूप से विपक्ष के सबसे बड़े नेता के रूप में राहुल गांधी को प्रमोट किया जा रहा है क्योंकि वे कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं और विपक्ष में कांग्रेस ही ऐसा दल है जो कई राज्यों में चुनाव लड़ते नजर आएगा। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर मणिपुर से मुंबई भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकलने जा रहे हैं। कांग्रेस की आगामी भारत जोड़ो न्याय यात्रा से पहले पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े बड़ी अपील की है। कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खडग़े ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से समर्थन की अपील की और कहा कि आप हमें सपोर्ट करो नहीं तो हम खत्म हो जाएंगे। आप हमारे ऑक्सीजन हो भाजपा जिस आक्रमकता के साथ लोगों को राम के नाम पर जोड़ रही है उसके बीच इसका खतरा बहुत ज्यादा रहेगा कि राहुल की ये यात्रा मीडिया में सुर्खियां बनने में नाकाम रहे इसे भांपते हुए ही खडग़े ने मीडिया को ऑक्सीजन कहते हुए सपोर्ट करने की अपील की है। तमाम राज्यों से गुजरते हुए छत्तीसगढ़ में ये यात्रा 500 किलोमीचर से ज्यादा दूरी तय करेगी इस पर भाजपा नेता अजय चंद्राकर ने तंज कसा है कि राहुल के आने से लोकसभा चुनाव में हमारी जीत और ज्यादा पक्की हो जाएगी। अभी तय नहीं है कि राहुल किन मुद्दों के साथ यहां आएंगे लेकिन उन्हें खारिज करने की रणनीति पर पहले काम शुरू हो गया है। राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने कई चुनाव लड़े है बहुत से राज्यों में केन्द्र में करारी हार का सामना करना पड़ा है लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है, वहीं क्षेत्रीय क्षत्रप जिसमें ममता बनर्जी, नितिश कुमार अखिलेश यादव उद्धव ठाकरे जैसे नेता शामिल है वो इस पर कितना राजी होंगे ये भी कहना मुश्किल है।
इस विपरित परिस्थिति के बीच तमिलनाडु से डीएमके से जुड़े नेताओं का हिंदी भाषा और हिंदू धर्म शास्त्र और मान्यताओं को लेकर आने वाले बयानों ने भी कांग्रेस और विपक्ष की परेशानी बढ़ाई है ऐसे में पिछले एक साल से चल रही ‘इंडियाÓ के नाम पर एकजुट होने की कवायद कहीं समय का बर्बादी और मतदाताओं के मन में भ्रम पैदान कर दे इसे समझना होगा नहीं तो इसका खामियाजा विपक्ष को भुगतना पड़ सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कर्नाटक में 28 में से 25 सीटें जीतकर अपना परचम लहराया था। इस बार तेलंगाना में-कांग्रेस की नाटकीय

जीत के बावजूद भाजपा ने अपना वोट शेयर दोगुना कर लिया और 2018 में 1 सीट से बढ़कर 8 सीट पर पहुंच गई। मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को हिंदी पट्टी की पार्टी कहकर निरस्त कर देना विपक्ष की गंभीर गलती होगी। जब पूरे देश को भाजपा राममय बनाकर 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य आयोजन करने जा रही है, जिस आयोजन की अनुगूंज देश भर के सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया की पहली खबर बनी हुई है, ऐसे समय मणिपुर से यात्रा निकालना और मीडिया से सहयोग की अपील करना नासमझी है। यह यात्रा 26 जनवरी से भी तो संविधान की याद दिलाते हुए प्रारंभ की जा सकती है। राजनीति में टाईमिंग का भी तो बड़ा खेल है।

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