Flying testing- भारत में बने कावेरी इंजन की रूस में फ्लाइंग टेस्टिंग

लंबी दूरी के स्टेल्थ ड्रोन में इस्तेमाल होगा

 
नई दिल्ली 

भारत में बने कावेरी जेट इंजन की फ्लाइंग टेस्टिंग डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) रूस में कर रहा है। ये रियल सिचुएशन में इंजन की कैपेसिटी आंकने के लिए अहम है।

अधिकारियों ने बताया इंजन पर करीब 25 घंटे का परीक्षण होना बाकी है। स्लॉट मिलने पर टेस्टिंग की जाएगी। इसकी कैपेसिटी शोकेस के लिए इसे एक लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) में लगाने का प्लान है।  शुरुआत में कावेरी इंजन को तेजस जैसे स्वदेशी LCA में लगाने का प्लान था, लेकिन प्रोग्राम में देरी के चलते तेजस में अमेरिकी इंजन GE-404 लगाया गया।

इस इंजन को अब भारत में बने लंबी दूरी के घातक अनमैंड एयर व्हीकल (UAV) यानी स्टेल्थ ड्रोन की पावर बढ़ाने के लिए फिर से तैयार किया जा रहा है।

AMCA के लिए पावरफुल इंजन बनाने की तैयारी
कावेरी 80 किलो न्यूटन (kN) थ्रस्ट (पावर) वाला एक लो बाईपास, ट्विन स्पूल टर्बोफैन इंजन है। बेहतर मैनुअल कंट्रोल के लिए इसमें ट्विन-लेन फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC) सिस्टम लगाया गया है।

हाई स्पीड और हाई टेम्प्रेचर के दौरान इंजन का पावर लॉस कम करने के लिए इसे फ्लैट-रेटेड डिजाइन किया गया है। इस तकनीक में इंजन की थ्रस्ट लिमिट उसके मैक्सिमम पॉइंट से कम पर फिक्स कर दी जाती है। DRDO 5वीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के Mark2 वर्जन समेत भविष्य के विमानों के लिए ज्यादा पावरफुल इंजन बनाने के लिए विदेशी फर्म के साथ काम कर रहा है। भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान प्रोग्राम में LCA Mark 1A, LCA Mark 2 और AMCA विकसित करना शामिल है।