बिलासपुर। गंगरेल जलाशय में मछली और पक्षियों के संरक्षण के लिए दायर जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मत्स्य विभाग ने कोर्ट में शपथपत्र पेश कर बताया कि कुल 779 में से 679 केज हटाए जा चुके हैं, जबकि अब केवल 100 केज हटाना शेष है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।

धमतरी की वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि जलाशय में बिना अनुमति के बड़े पैमाने पर पिंजरों के माध्यम से मछलियों का शिकार किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण और पक्षियों को नुकसान हो रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि छह महीने पहले सरकार ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए।
शपथपत्र में मत्स्य विभाग ने बताया कि धमतरी जिला प्रशासन ने पिंजरों को अन्य स्थान पर शिफ्ट करने के लिए उपयुक्त जगह चिन्हित करने का प्रयास किया है। अधिकांश किसानों ने स्थानांतरण पर सहमति दे दी है। जैसे ही उपयुक्त स्थान मिलेगा, शेष पिंजरों को भी हटाया जाएगा। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की।