Female Education Worker : अनुकंपा महिला शिक्षाकर्मी को 17 महीने से नही मिला वेतन. दाने-दाने को मोहताज महिला
Female Education Worker : सक्ती शिक्षाकर्मी पति की मौत के बाद महिला को अनुकंपा नियुक्ति पर मिली शिक्षिका की नौकरी परंतु नगरपालिका के उदासीन के चलते 17 माह से महिला को नहीं मिला वेतन अपने दूध मुहे बच्चे को लेकर वेतन पाने के लिए दर-दर की
Female Education Worker : ठोकरें खा रही है महिला आप सोच सकते हैं कि किसी महिला का पति ना हो और महिला शासकीय नौकरी में पदस्थ हो और उसे वेतन भी ना मिले तो अपने परिवार का खर्चा कैसे चलाई गी किसी कर्मचारी को 1 माह से वेतन ना मिले तो उसके
घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है लेकिन नवीन जिला सक्ति छत्तीसगढ प्रदेश में ऐसी भी महिला शिक्षाकर्मी स्कूल में सेवा देते हुए संघर्ष कर रही है जिसे एक दो महीने नहीं बल्कि 17 महीने अपने वेतन का इंतजार करते हुए बीत चुके हैं
और पिछले 17 महीने का उनका वेतन भुगतान लंबित है । ऐसा नहीं है कि उसने अपने वेतन के लिए प्रयास नहीं किया है लेकिन शासन प्रशासन एवं अधिकारियों के सिस्टम से परेशान महिला के साथ अंधेरगर्दी की हद देखिए वेतन पाने के लिए
महिला नगरीय निकाय शिक्षा विभाग सहित विभिन्न कार्यालय से लेकर राज्य कार्यालय से कई बार आबंटन मांगे जाने के बाद भी आज तक आबंटन जारी नहीं किया गया है ।
आखिर क्या है पूरा मामला !
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पूरा मामला नगर पालिका परिषद सक्ति का है जहां 2012 से कार्यरत सहायक शिक्षक राजेश सोनवानी की मृत्यु उनके संविलियन के पूर्व 16 अगस्त को हो गई थी । उनके निधन के बाद सितंबर 2020 में नगर पालिका परिषद सक्ति ने
उनकी पत्नी आरती सोनवानी को अनुकंपा नियुक्ति तो प्रदान की लेकिन राज्य कार्यालय से आबंटन के अभाव में अप्रैल 2021 से सितंबर 2022 तक का कुल 17 माह का वेतन भुगतान नहीं किया गया है । महिला शिक्षाकर्मी अपने वेतन
भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है लेकिन उसके बाद भी उसे राहत नहीं मिल रही है ।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने सीधे मुख्यमंत्री से वेतन दिलाने की अपील ट्विटर के माध्यम से की है और उनके अपील के बाद सैकड़ों शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से रीट्वीट करके यह निवेदन किया है कि
महिला शिक्षिका को तत्काल उनका वेतन भुगतान किया जाए । इस बात की पूरी उम्मीद भी है कि सीएम तक बात पहुंचने के बाद महिला को वेतन भुगतान हो जाए लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर ऐसी परिस्थिति क्यों उत्पन्न हुई और
उच्च कार्यालय आखिर मामले को लेकर संवेदनशील क्यों नहीं वही महिला ने बताया किअपना वेतन पाने के लिए सभी अधिकारियों से विनती निवेदन करते हुए लिखित पत्र के माध्यम से अवगत कराते हुए परिवार की समस्या बताई कि उनके
पति के जाने के बाद उनका एक दूध मुहा बच्चा है जिसे प्रतिदिन भरण पोषण के लिए पैसे की जरूरत रहती है और मैं स्वयं परिवार का खर्च चलाती हूं और मुझे 17 माह से वेतन नहीं मिल पाया है जिससे मानसिक प्रताड़ित हुं बच्चे एवं परिवार
के भरण पोषण के लिए काफ़ी कर्ज है और मुझे अब कहीं से खाने पीने का सामान नहीं मिल पा रहा है उसके बाद भी अधिकारी कर्मचारियों का दिल नहीं पसीज रहा है देखें तो वही प्रदेश में ऐसे और भी कई केस हो सकते हैं जहां कर्मचारी
उच्च कार्यालय की अनदेखी के चलते परेशान रहते हैं और आत्महत्या तक का बड़ा कदम उठा लेते हैं वहीं असहाय शिक्षाकर्मी महिला को 17 माह का वेतन नहीं मिलना क्या मुख्यमंत्री तक ऐसा मामला पहुंचना चाहिए यह सवाल अपने आप में काफी बड़ा है ????