रायपुर, छत्तीसगढ़। सेंट्रल जीएसटी विभाग ने फर्जी बिल लगाने वाली कंपनियों और ट्रांसपोर्ट एजेंसियों पर बड़ी कार्रवाई की है। जांच में पता चला कि कुछ एजेंसियां मोपेड, स्कूटर और ऑटो के जरिए रोजाना 15-30 मीट्रिक टन का माल सप्लाई होने का दिखा कर करोड़ों का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर रही थीं।

रिकवरी और पेनाल्टी
- अब तक 15 कंपनियों को लगभग 150 करोड़ रुपए की टैक्स रिकवरी के लिए डिमांड नोटिस जारी।
- इन कंपनियों को चेतावनी दी गई है कि अगर जुर्माना या पेनाल्टी का भुगतान नहीं किया गया तो जीएसटी लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
- बलौदाबाजार, बेमेतरा, कवर्धा और बिलासपुर की कुछ एजेंसियों को 2 से 3 करोड़ रुपए की पेनाल्टी भी लगाई गई।
फर्जी सप्लाई का तरीका
जांच में पता चला कि बिलों में दिए गए वाहन नंबर असली नहीं थे। एजेंसियों ने मोपेड, मोटरसाइकिल, ऑटो और स्कूटर के नंबर दर्ज करके हर दिन भारी मात्रा में माल सप्लाई होने का दिखाया।
ट्रांसपोर्टरों की भी जांच
सेंट्रल जीएसटी को यह भी शिकायत मिली कि कई ट्रांसपोर्टर सप्लायरों को धमका कर 5,000 से 10,000 रुपए तक अतिरिक्त वसूली कर रहे थे। वे जीएसटी छापे का डर दिखाकर माल की बुकिंग करवा रहे थे और बदले में वादा कर रहे थे कि माल सुरक्षित पहुंचेगा।
इस कारण अब शहर के बड़े ट्रांसपोर्टरों के रिटर्न की भी जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारी मौके पर और रास्ते में भी गाड़ियों का वजन, स्टॉक और ई-वे बिल चेक कर रहे हैं।
स्टेट जीएसटी की कार्रवाई
- राज्यभर में जीएसटी दरें कम होने के बाद किराना और अन्य व्यवसायों पर निगरानी तेज।
- जांच यह सुनिश्चित करने के लिए कि सस्ती दर का लाभ आम लोगों तक पहुँच रहा है या नहीं।
- अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि गड़बड़ी करने वाले कारोबारियों पर सीधे एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
सेंट्रल और स्टेट जीएसटी विभाग की यह कार्रवाई पारदर्शिता और टैक्स चोरी रोकने के लिए शुरू की गई है, हालांकि कई जगह इसका विरोध भी सामने आया है।