Eternal religion : जुड़वास शांति पूजा

Eternal religion

Eternal religion  : जुड़वास शांति पूजा

सनातन धर्म के विभिन्न सम्प्रदाय में 18654 ( अठारह हजार 6 सौ चौवन ) प्रकार के रीति रिवाज तथा 160 प्रकार के तीज त्योहार हैं। इन सब का वैज्ञानिक महत्त्व भी है।

Eternal religion  वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले हमारे पूर्वज ऋषि मुनि व मनीषियों ने शोधकार्य के द्वारा हमे अति आवश्यक कार्यो को पर्व त्योहार व्रत तथा उत्सव के रूप में प्रदान किया है। जिसको मनाने के पीछे हमारा लाभ ही छुपा हुआ है।

इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की प्रथा परम्परा में मनाये जाने वाले जुड़वास शांति पूजा का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।
जो कि प्रायः समस्त देवी मंदिरों में तपती गर्मी के बाद बरसात लगने के बीच की संधिकाल वाले समय मे किया जाता है।
ऋतु परिवर्तन तथा मौसम परिवर्तन के समय विभिन्न प्रकार के बीमारियों का आगमन होता है जिसे क्षेत्रीय भाषा मे माता आ जाना बोलते हैं ,कहीं कहीं पर छोटी माता , बड़ी माता भी बोली जाती है जो कि संक्रमित होने वाले चेचक आदि बीमारियों का ही रूप होता है।

उपरोक्त तरह की कोई भी बीमारियां न हो इसलिये ही चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी व अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी व शीतला अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बासी भोजन करने की परम्परा है इसलिये इसे बसोड़ा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

शीतला सप्तमी के दिन बासी भोजन करने के विषय पर जर्मनी के एक शोध संस्थान ने रिसर्च किया था जिसके रिसर्च पेपर का उद्धरण , 1968 में एक अमेरिकन पत्रकार ने किया था। जिसके अनुसार इस तिथि को बासी भोजन किया जाय और 24 घण्टे तक पेट मे कोई भी गर्म पेय या खाद्य पदार्थ न् जाय तो शरीर मे एक विशिष्ट बैक्टीरिया का उत्पादन हो जाता है जो शरीर मे ऐन्टीबॉडी का कार्य करता है तथा पूरे साल भर तक के लिये हानिकारक वायरस आदि से सुरक्षा मिलती है।

स्कंद पुराण में माता शीतला की स्तुति के लिये शीतलाष्टक स्तोत्र दिया गया है। जिसकी रचना स्वयं भगवान शंकर ने लोकहित में किया है।

इसिलिय आज भी प्रायः हर देवी मंदिरों में गर्मी बरसात के मध्य संधि काल के किसी भी सप्तमी / अष्टमी तिथि या सोमवार / गुरुवार को माता जी का अभिषेक पूजन कर हवन पूजन किया जाता है। इसे ही जुड़वास कहते हैं।

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प्रतिवर्ष अनुसार श्री राजराजेश्वरी माँ महामाया देवी मंदिर में जुड़वास शांति पूजा का आयोजन 8 जून 2023 गुरुवार को किया गया।
श्री महामाया सेवा समिति महामाई पारा रायपुर

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