Editor-in-chief सुभाष मिश्र की कलम से-विकास नहीं इन मुद्दों पर होगा चुनाव !

From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra

-सुभाष मिश्र

 

2023 और 24 के चुनावों से पहले भाजपा जिस तरह कदम उठा रही है उससे समझा जा सकता है कि पार्टी किन मुद्दों पर फोकस करते हुए चुनावी समर में ताल ठोंक सकती है। एक तरफ तो दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने विश्वभर में भारत को एक अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया है। सुबह-सुबह सोशल मीडिया पर इस तरह के कई पोस्ट की बाढ़ आती है जो कि कई जरूरी और वास्तविक मुद्दों से आपको भटकाकर किसी छद्म बहस में उलझाते हैं। लेकिन भाजपा चुनाव मैदान में बड़ी सतर्कता के साथ कदम रखना चाहती है वो इन छद्म मुद्दों के दम पर जनता की अदालत में नहीं जाना चाहती है, बल्कि वो अभी भी राष्ट्रवाद जिसमें धार्मिकता भी हो और मंदिर जैसे अपने प्रिय मुद्दों को और भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। इन मुद्दों के जरिए देश के करोड़ों लोगों से जोडऩा आसान है। इसी रणनीति के तहत 15 अगस्त से पहले बीजेपी एक बार फिर से नए अभियान में जुट रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश के लोगों से अपील की कि लोग देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की याद में मेरी माटी मेरा देश अभियान से जुड़ें। इस अभियान में देश के अलग-अलग कोनों के 7500 गांव की मिट्टी के साथ कलश दिल्ली लाया जाएगा। इसी मिट्टी से अमृत कलश वाटिका तैयार किया जाएगा। 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी राष्ट्रभक्ति को लेकर मुहिम शुरू कर रही है। इससे पहले भी पीएम मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान का आवाहन किया था। एक के बाद एक राष्ट्रभक्ति से जुड़े ये अभियान जनता की भावनाओं से कनेक्ट करने का अच्छा जरिया है। साथ ही राष्ट्रवाद की भावनाओं की लहरों से महंगाई, बेरोजगारी जैसे दूसरी समस्याओं पर पर्दा डाला जा सकता है। अभी से संगठन स्तर पर भाजपा मेरा देश, मेरी माटी और हर घर तिरंगा अभियान को व्यापक पैमाने पर चलाने के लिए खाका तैयार कर रही है।

इनके अलावा सांसदों और विधायकों के गांवों में रात्रि विश्राम और अटल चौपाल आयोजित करने की योजना भी बनाई जा रही है। इन चौपालों में जहां सांसद और विधायक लोगों से सीधे कनेक्ट होकर केन्द्र सरकार की योजनाओं से अवगत कराएंग। साथ ही जनता के मन की बात को समझने की कोशिश करेंगे। इन फिडबैक के आधार पर भाजपा अपनी रणनीति बनाएगी। हालांकि बीजेपी इन अभियानों को भले ही राष्ट्रभक्ति से जोड़कर देखे, लेकिन विपक्ष इसे सोची समझी चुनावी रणनीति बता रहा है।

एक तरफ राष्ट्रवाद का मुद्दा है तो दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं की बात है। सबको साफ पानी पर अधिकार है। इसे 2024 चुनाव से पहले गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन शुरू किया गया। इन वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट इस योजना को आवंटित किया गया। इसके तहत वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल की आपूर्ति करना था, लेकिन राज्यसभा में दिए गए एक सवाल के जवाब में जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि 2.17 करोड़ ग्रामीण आदिवासी परिवारों में से 44 प्रतिशत के पास नल का पानी कनेक्शन है। यानि आधी ग्रामीण आदिवासी आबादी को इस योजना का अब तक लाभ नहीं मिल पाया है जबकि ये मोदी सरकार की बहुत बड़ी योजना थी। इस योजना में कई राज्यों में बंदरबांट घोटालों की खबरें आती रही हैं, लेकिन आम आदमी की हक पर उस तरह की चौकीदारी नहीं हुई जैसा कि अक्सर दावा किया जाता रहा है। 21वीं सदी में भी हम पानी जैसे बुनियादी सुविधाओं पर उलझना भी बताता है कि सरकारों ने इसे कितना कैजुअल लिया। जबकि इस देश में हर साल लगभग 6 लाख लोगों की मौत डायरिया से हो जाती है। इस बीमारी के फैलने में दूषित पेयजल बड़ा कारक है। इसके अलावा भी कई अन्य बीमारियां इसके चलते हो रही है। छत्तीसगढ़ में सुपेबेड़ा गांव के पानी के कारण किडनी की बीमारी से कई लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग इससे अभी भी पीडि़त हैं। जब आपकी इतनी बड़ी योजना पूरी तरह जमीन पर नहीं उतर पाई हो तो फिर लोगों की भावनाओं को राष्ट्रवाद के नाम पर हिलोरे देना जरूरी हो जाता है। इसी तरह एक बड़ा वादा था किसानों की आय दोगुनी करने का। इसके लिए 2022 की मियाद खुद को मोदी सरकार ने दी थी। कई साल तक इसका जमकर ढिंढोरा पीटा गया, लेकिन नतीजा देश के सामने है। ऐसे में अब माटीपुत्रों को लक्ष्मी के नाम पर नहीं माटी के नाम पर रिझाने की कोशिश है। ‘मेरा देश मेरी माटीÓ से किसानों का कितना भला होने वाला है ये कोई नहीं जानता।

इसी तरह मंदिरों के कायाकल्प अभियान पर नजर डालें तो इस क्षेत्र में भी सैकड़ों करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के आने के बाद से कई धार्मिक स्थानों का कायाकल्प हुआ है। काशी कॉरिडोर से लेकर महाकाल के कॉरिडोर तक, कई मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ है। काशी कॉरिडोर को पहले से 3 हजार वर्ग फुट से बढ़ाकर लगभग पांच लाख वर्गफुट कर दिया गया है। इसी तरह उज्जैन में महाकाल लोक कॉरिडोर को काफी भव्यता प्रदान की गई है। 900 मीटर लंबे इस कॉरिडोर के निर्माण पर 856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। मोदी सरकार ने केदारनाथ धाम में काफी काम कराया है। चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर भी कई तरह की नई-नई बहस पैदा की जाएगी। हालांकि ‘इंडियाÓ की ओर से अभी तक एंटी बीजेपी के अलावा कोई दूसरा नरेटिव सामने नहीं आया है। ऐसे में भाजपा चुनाव अभियान और किन बातों को फोकस करेगी ये भी जल्द साफ हो जाएगा।

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