परंपरा के सामने ड्राई डे परास्त

जगदलपुर। 2 अक्टूबर दिन गांधी का दिन है इस दिन पूरे देश में ड्राई डे यानी शराब बंदी का दिन होता है. सरकारी आदेश पर शराब की प्रतिबंधित होती है कुछ जगहों मांस की बिक्री भी प्रतिबंधित है । यह प्रतिबंध सरकार और समाज द्वारा गांधी के विचारों और आस्था के सम्मान सा है दूसरी ओर आदिवासियों की परंपरा से आई आस्था है कि वे देवी के सम्मान में देवी को मंद ( मदिरा ) और मॉंल अर्पित करते हैं और उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते है। । यही वजह है की दो अक्टूबर को भी विजयदशमी , दशहरा पर आदिवासी गांव – गांव से लघु वनोपज से बनी मंद ( शराब ) की बिक्री जगदलपुर के लघु वनोपज के सरकारी दफ़्तर परिसर से लेकर सड़क किनारे बेची जा रही थी । इसी तरह की लघु वनोपज से शराब की बिक्री हमें केटकल्याण के मेटापार गांव में भी दिखी ।
संयोग से इस बार दशहरा भी 2 अक्टूबर को ही है. ऐसे में आदिवासी परंपरा और सरकारी नियम के बीच उलझन की स्थिति बन गई. लेकिन बस्तर के वृहत आदिवासी परंपरा के आगे सरकार और सरकारी नियम भी मौन हो गया. इसके साथ ही ड्राई डे पर आदिवासी परंपरा के तहत मंद बाजार सजा रहा.

बस्तर दशहरा के बारे में भला किसने नही सुना. विश्व प्रसिद्ध इस उत्सव को देखने आसपास ही नहीं बल्कि विश्व भर से लोग आते हैं. जितना प्रसिद्ध यह उत्सव है उतनी ही अनोखी इसकी परंपरा भी है. आदिवासी समाज भी अपनी परंपरा की जड़ से गहराई से जुड़ा हुआ है. संयोग से हमें भी एक परंपरा को देखने का अवसर मिला. जब इसे देखा तो हम भी उतने ही आश्चर्य से भर गए. ये संभवतः दो आस्थाओं का समन्वय है । इस बार दशहरा दो अक्टूबर गांधी जयंती को आया किंतु ये मंद ( शराब ) का बाज़ार हर साल सजता है जो लोक परम्परा का हिस्सा है ।

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