रायपुर। डॉ. राधाबाई छत्तीसगढ़ की एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं, जो रायपुर में रहती थीं। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गांधीजी के सभी आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

डॉ. राधाबाई का जन्म 1875 में नागपुर में हुआ था। वे 1918 में रायपुर आईं और दाई का काम करने लगीं। 1920 में, जब महात्मा गांधी पहली बार रायपुर आए, तो वे उनसे प्रेरित हुईं और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं। डॉ. राधाबाई ने 1930 से 1942 तक सभी सत्याग्रहों में भाग लिया और कई बार जेल भी गईं। उन्होंने स्वदेशी, राष्ट्रीय एकता, और अस्पृश्यता निवारण जैसे आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

डॉ. राधाबाई ने सफाई कामगारों के बच्चों की शिक्षा और सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। 2 जनवरी, 1950 को उनका निधन हो गया।

डॉ. राधाबाई के बारे में कुछ मुख्य बातें:
जन्म: 1875, नागपुर
रायपुर आगमन: 1918
स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका: 1920 से 1942 तक सभी आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी
जेल यात्राएं: कई बार जेल गईं
सामाजिक कार्य: सफाई कामगारों के बच्चों की शिक्षा और सेवा
निधन: 2 जनवरी, 1950

डॉ. राधाबाई को रायपुर के लोग डॉक्टर के रूप में जानते थे, जो उनकी समाज सेवा और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के कारण था। यह नाटक उन्हीं के जीवन संघर्ष पर केन्द्रित था। नाटक में अरुण भाँगें , सुनील चिपडे बिलासपुर ने भी भूमिका निभाई। रायपुर में डॉ राधा बाई के नाम पर पुरानी बस्ती में एक महाविद्यालय है। नाटक के समापन पर राजकुमार सोनी , सुभाष मिश्र शुभ्रा दुबे ने अपने विचार रखे। कथाकार जया जादवानी ने भी नाटक को लेकर अपने विचार रखे।

