रायपुर। राज्य सरकार ने ‘डिजास्टर मैनेजमेंट रिपोर्ट 2025’ जारी की है, जिसमें छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं की स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन किया गया है। रिपोर्ट में बाढ़, सूखा, आकाशीय बिजली, चिमनी विस्फोट, पटाखों के धमाके जैसी घटनाओं को गंभीर खतरा बताया गया है।

हाई-रिस्क और कम खतरा वाले जिले
- हाई-रिस्क जिले (17): रायगढ़, रायपुर, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, जशपुर, धमतरी, सुकमा, दंतेवाड़ा, मुंगेली, कबीरधाम, सूरजपुर, सरगुजा, नारायणपुर, बस्तर, बीजापुर।
- कम खतरा जिले (9): कोरिया, बलरामपुर, जशपुर, कोरबा, मारवाही, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव।
राहत-बचाव व्यवस्था
प्रदेश में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की सात टीमें तैनात हैं। इनमें पांच मुख्यालयों (रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, दुर्ग, बस्तर) में और दो रायपुर व बिलासपुर ट्रेनिंग सेंटर में हैं। सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने बताया कि सबसे ज्यादा खतरा आकाशीय बिजली गिरने और निचले इलाकों में बाढ़ से है। जिलों को एनडीएमएस के समन्वय से काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
पिछले दो दशक में छत्तीसगढ़ में प्रमुख आपदाएं
- 2002-2008: लगातार सूखा और बाढ़ प्रभावित
- 2014: चक्रवाती तूफान से 82,831 लोग प्रभावित
- 2015-2017: सूखा, भारी बारिश और बाढ़ से लाखों किसान प्रभावित
- 2018: बाढ़ से 12 हजार लोग प्रभावित
- 2020: कोविड-19 से 3,565 मौतें, बाढ़ से 24,369 मकान ध्वस्त
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से खनिज, कृषि और बुनियादी ढांचे पर बड़ा असर पड़ सकता है।