Diarrhea outbreak: एटीआर के वनांचल में डायरिया का प्रकोप

एटीआर के वनांचल में डायरिया का प्रकोप
  •  स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नाव के सहारे गांव जाकर बांटी दवाइयां
  • मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं बैगा आदिवासी

लोरमी। मुंगेली जिले के लोरमी विधानसभा अंतर्गत अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में निवासरत बैगा आदिवासी सहित अन्य समुदाय के लोगों को जीवन यापन में आज भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आजादी को आज 77 वर्ष बीतने को है। समय पर सरकारें तो बदलती रही लेकिन बैगा आदिवासियों की स्थिति जस का तस बना हुआ है। बता दें, वनांचल के ग्रामीण कई स्थानों पर झिरिया का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिसके चलते कई लोग बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। यहां के ग्रामीण अब भी विकास से कोसों दूर हैं। आज भी बारिश के दिनों में बीमारों को उपचार के लिए ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती मनियारी नदी को पार कर लाना-लेजाना करते हैं।

कई बार कर चुके पुल निर्माण की मांग
ग्रामीणों की लगातार मांग के बावजूद भी आज तक जकड़बांधा से वनग्राम डगनिया-महामाई जाने के लिए पुल निर्माण नहीं हो सका है। इसके चलते कई मरीज स्वास्थ्य केंद्र खुडिय़ा पहुंचने से पहले ही रास्ते पर दम तोड़ देते हैं।

नांव से पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम
दरअसल अचानकमार टाइगर रिजर्व के वनग्राम डगनिया में इनदिनों डायरिया के प्रकोप से ग्रामीण पीडि़त हैं। कुछ दिनों पहले ही समय पर स्वास्थ्य सुविधा न मिलने से एक बीमार बुजुर्ग झनकू बैगा की मौत हो गई। वहीं उनके परिवार समेत कई ग्रामीण भी डायरिया की चपेट में हैं। इसकी सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम खुडिय़ा बांध में संचालित नौका विहार से गांव पहुंची और कैंप लगाकर ग्रामीणों को डायरिया से बचाव के उपाय बताते हुए दवाइयां भी दी।
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गर्म भोजन करने और गर्म पानी पीने की अपील
वहीं क्षेत्र में स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग मुंगेली के डीपीएम गिरीश कुर्रे ने बताया कि डगनिया गांव के ग्रामीण डायरिया की चपेट में है। कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार वहां जा रही है और लोगों की जान बचाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। हम लोगों से गर्म भोजन करने और गर्म पानी पीने की अपील भी कर रहे हैं।

वनांचल क्षेत्र में ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित
जकड़बांधा गांव के दुखुराम बैगा ने बताया कि बारिश के दिनों में जंगल के रास्ते मरीजों को खुडिय़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाना मुश्किल हो जाता है। कई मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है और कुछ को चार पहिया वाहन की कमी के चलते खाट या बाइक पर लाना पड़ता है। एटीआर क्षेत्र में मनियारी नदी पर पुल न बनने के कारण बरसात में कई गांवों का संपर्क टूट जाता है, जिसमे बैगा आदिवासी सहित निवासरत अन्य समुदाय के लोगों को मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता है। नदी पार करने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ता है, इसलिए शॉर्टकट के लिए कुछ लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं। इस स्थिति में कई मरीज रास्ते में दम तोड़ देते हैं।

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