नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जैन संत आचार्य विद्यानंद जी महाराज की जन्म शताब्दी समारोह में ‘धर्म चक्रवर्ती‘ की उपाधि से श्री 108 प्रज्ञा सागर महाराज ने सम्मानित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं खुद को इस उपाधि के योग्य नहीं मानता, लेकिन संतों का आशीर्वाद ‘प्रसाद‘ के समान होता है. इसे मैं विनम्रता से स्वीकार करता हूं और मां भारती को समर्पित करता हूं.“
क्या है ‘धर्म चक्रवर्ती‘ की महत्ता
– यह उपाधि जैन धर्म में अत्यंत सम्मानित मानी जाती है।
– 1987 में आचार्य विद्यानंद जी महाराज को भी यही उपाधि मिली थी।
– यह संयम, करुणा और अहिंसा के मूल्यों को प्रदर्शित करती है।
क्या बोले पीएम मोदी?
-“यह समारोह पूरे साल चलेगा और जैन धर्म के संदेश को देश-दुनिया तक पहुंचाएगा।”
– “आचार्य विद्यानंद जी का जीवन हमें शांति और सद्भाव की प्रेरणा देता है।”
-“यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा।”
कौन हैं आचार्य विद्यानंद जी महाराज
– वे 20वीं सदी के प्रमुख जैन संत थे।
– उन्होंने अहिंसा, सत्य और त्याग का संदेश फैलाया।
– उनकी शताब्दी समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट सहयोग कर रहे हैं।