Dharamjaygarh Forest Division : कोलू मार जंगल में पाए गए मृत हाथी की मौत के कारणों का खुलासा…
अनीता गर्ग
धर्मजयगढ़ / धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल वन परीक्षेत्र अंतर्गत कोलू मार नामक जंगल में बीते शनिवार को मृत हाथी पाए गए एक नर हाथी की मौत के कारणों का खुलासा हो गया है
अधिकारी पुष्टि के अनुसार जंगली जानवर के शिकार के लिए बिछाए गए विद्युत प्रवाहित तार की चपेट में आने से हाथी की मौत हुई है वही घटनास्थल से शिकार के लिए उपयोग में लाए गए तार को बरामद कर लिया गया है ।
इस बीच कड़ी पूछताछ के बाद सोमवार को इस मामले में संलिप्त तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया । जानकारी के अनुसार एक आरोपी सिथरा व दो अन्य पास के एक गांव के हैं वहीं एक अन्य फरार आरोपी की सरगर्मी से तलाश की जा रही है
बता दें कि बीते शनिवार की सुबह 4 दिन से हाथी परिसर अंतर्गत कुमार जंगल के कंपार्टमेंट नंबर 555 पीएफ में एक नर हाथी का करीब 5 दिन पुराना शव बरामद किया गया ।
जिसके बाद विभागीय अधिकारियों व डॉग स्क्वायड की टीम के द्वारा घटनास्थल की बारीकी से जांच की गई इस संयुक्त जांच के दौरान कई ऐसे तथ्य सामने आए जिसके जरिए विभाग को मामले की तह तक पहुंचने में सफलता मिली इस संबंध
में वन मंडल अधिकारी धरमजयगढ़ अभिषेक जोगावत ने बताया कि शुरुआत में यह प्रकृति दुर्घटना का मामला लग रहा था लेकिन इस दौरान घटनास्थल से तार मिलने के बाद जांच का दायरा बढ़ गया जिसके बाद हाथी के शव को पलट कर देखने
पर उसके शरीर मैं करंट लगने के निशान दिखे उन्होंने बताया कि गांव के एक व्यक्ति से शिकार के लिए उपयोग में लाए जा सकने वाले कुछ संदिग्ध सामान बरामद किए गए हैं।और डीएफओ ने बताया कि शव करीब 5 दिन पहले का है उन्होंने
बताया कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले संबंधित कर्मचारियों को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है ।
और आगे की आवश्यक जांच कार्यवाही की जा रही है । बता दे कि वन मंडल क्षेत्र में बीते 3 महीने के भीतर ही तीसरे हाथी की मौत की घटना है इसके पूर्व बीते 1 अगस्त को हाटी सर्कल के कक्ष क्रमांक 554 पीएफ में और उसके बाद
सितंबर माह में बाकारूमा रेंज के जमा वीरा इलाके में हाथी का पुराना शव बरामद हुआ, वहीं उक्त दोनों मामलों में प्रथम दृष्टया हाथी की मौत का कारण आसमानी बिजली को बताया गया था।
हाथियों की निगरानी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कुछ समय पहले अनुमान के आधार पर हाथियों की गणना दर्जन किए जाने का एक मामला भी इत्तेफाक से हाथी सर्किल अंतर्गत ही देखने को मिला था जिससे हाथी परिसर में विचरण कर
रहे 8 हाथियों के दल को प्रत्यक्ष रूप से बेहरामार इलाके में देखने पर उनकी संख्या बढ़कर 13 हो गई थी इससे यह स्पष्ट होता है कि कई बार हाथियों की वास्तविक गणना से अधिक होती है और संभवत इसी अनुमानित गणना के कारण हाथियों
की मौत की घटना सामने आती है जिसका विभाग को काफी समय तक पता भी नहीं रहता या स्थिति मैदानी कर्मचारियों की लापरवाही को दर्शाता है, जबकि हाथी मित्र दल व एलीफेंट के द्वारा हाथियों की निगरानी में सहायता की जाती है इस
प्रकार हाथियों की अनुमानित करना शायद प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निगरानी के पेंच में फंसा हुआ है यह कार्य प्रणाली निश्चित रूप से हाथियों कि सतत निग