नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच अब एक राजनीतिक विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि आयोग ने बिना पूरी जानकारी लिए उसके प्रत्याशियों को समान चुनाव चिन्ह आवंटन का अनुरोध अस्वीकार कर दिया। पार्टी का कहना है कि आयोग के निर्णय में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं, जिनके कारण पार्टी के वैध अधिकारों की अनदेखी हुई है।
आयोग के फैसले पर आपत्ति
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी ने अपने पत्र (पत्र क्र. CEC/बिहार चुनाव/2025 दिनांक: 22-09-2025) में यह उल्लेख किया था कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वह छह विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतार रही है। पार्टी ने यह मांग रखी थी कि उसके सभी प्रत्याशियों को एक समान चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाए।
हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग की ओर से भेजे गए जवाब में यह कहा गया कि “पार्टी का आवेदन विचार योग्य नहीं है। इस निर्णय के पीछे आयोग ने दो प्रमुख कारण बताए गए। जिसमें पहला कारण पार्टी ने पिछले तीन वर्षों का ऑडिटेड अकाउंट, कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट, या इलेक्शन एक्सपेंडिचर स्टेटमेंट संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय में जमा नहीं कराया। पार्टी का आवेदन अधूरा है और निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत नहीं किया गया। इस पर पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा कि,“यह पूरी तरह असत्य है” पार्टी ने आयोग के दोनों कारणों को पूर्णतः असत्य बताया है।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अनुसार, उसने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2022-23, 2023-24 और 2024-25) के ऑडिटेड आय-व्यय ब्यौरे, कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट और चुनाव व्यय विवरण समय पर दिल्ली स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ओल्ड स्टीफन कॉलेज बिल्डिंग, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली — में जमा कराए हैं।
इसके प्रमाण स्वरूप पार्टी ने संबंधित कार्यालय से प्राप्त रसीदों की छायाप्रतियां भी अपने पत्र के साथ संलग्न की हैं। पार्टी का आरोप है कि दिल्ली सीईओ कार्यालय से ये सूचनाएं समय पर मुख्य निर्वाचन आयोग को नहीं भेजी गईं, जिससे आयोग को गलत जानकारी मिली। पार्टी ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि “आपके कार्यालय द्वारा बिना सम्पूर्ण जानकारी लिए इस तरह का असत्य लिखना अनुचित है। यह प्रशासनिक लापरवाही है जो पार्टी के संवैधानिक अधिकारों का हनन करती है।”एलएसपी ने आयोग से आग्रह किया है कि वह इस “गंभीर गलती” को स्वीकार करे और उसे तुरंत सुधारते हुए पार्टी के उम्मीदवारों को एक समान चुनाव चिन्ह प्रदान करने का आदेश जारी करे।
पार्टी की मांगें
पार्टी ने अपने पत्र में निर्वाचन आयोग से निम्न मांगें रखी हैं —
1. आयोग अपनी गलती स्वीकार करे और उसमें सुधार करे।
2. दिनांक 22 सितंबर 2025 के पत्र को संज्ञान में लेते हुए समान चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया पूरी करे।
3. दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को निर्देशित किया जाए कि भविष्य में वह पार्टी के सभी दस्तावेजों और रिपोर्टों की जानकारी समय पर आयोग को भेजे।
4. इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों पर डंडात्मक कार्रवाई की जाए।
5. यदि आयोग इस पर निर्णय नहीं लेता, तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होगी, और उस स्थिति में यह पत्र कानूनी नोटिस के रूप में माना जाएगा।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी का यह पत्र न केवल एक प्रशासनिक त्रुटि की ओर संकेत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि क्षेत्रीय दलों और राष्ट्रीय आयोगों के बीच संवाद की कमी किस तरह चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
जहां एक ओर निर्वाचन आयोग की सख्ती पारदर्शिता के लिए आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों को भी यह विश्वास होना चाहिए कि उनकी बात पूरी निष्पक्षता से सुनी जाएगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इस विवाद पर क्या रुख अपनाता है। क्या पार्टी को न्याय मिलेगा या यह मामला अदालत तक जाएगा?