इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा देने की मांग संसद में उठी

खैरागढ़। संसद के सत्र के दौरान गुरुवार को राजनांदगांव लोकसभा सांसद संतोष पांडे ने खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग जोरदार तरीके से उठाई। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कला और संगीत की महत्वपूर्ण पहचान है, जिसे उसके अनुरूप मान्यता मिलनी चाहिए।

सांसद पांडे ने सदन में बताया कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का पहला शास्त्रीय संगीत विश्वविद्यालय है, जहाँ कथक, भरतनाट्यम, लोक संगीत सहित विभिन्न परंपरागत विधाओं की उच्च स्तरीय शिक्षा दी जाती है। विदेशों से भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी यहाँ अध्ययन करने आते हैं और भारतीय संस्कृति की गहराई से जानकारी प्राप्त करते हैं। इसके बावजूद विश्वविद्यालय को अब तक केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिला है, जबकि यह मान्यता उसके विस्तार और शोध गतिविधियों को नई दिशा दे सकती है।

उन्होंने उल्लेख किया कि यह संस्थान 14 अक्टूबर 1956 को स्थापित किया गया था और तब से निरंतर भारतीय कला और संगीत की विरासत के संरक्षण तथा संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सांसद ने पीठासीन अध्यक्ष के माध्यम से केंद्र सरकार से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय घोषित करने पर गंभीरता से विचार किया जाए, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और मजबूत हो सके।

सांसद की इस मांग के बाद छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा मिलता है, तो कला-संगीत शिक्षा, शोध और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए अवसर खुलेंगे, जिससे खैरागढ़ देश और दुनिया के सांस्कृतिक मानचित्र पर और मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।

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