Dantewada News Today : सरकारी राशि का दुरुपयोग, निर्माण कार्यों पर प्रश्न चिन्ह, आदिवासियों का विकास की सरकारी राशि का दुरुपयोग और बस्तर की दुर्दशा 

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Dantewada News Today नक्सलवाद जैसी भीषण समस्याओं से जूझ रहे दक्षिण बस्तर की दुर्दशा

 

Dantewada News Today दंतेवाड़ा !   सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर दंतेवाड़ा जिले सहित पूरे बस्तर क्षेत्र में सरकारी राशि का दुरुपयोग करते हुए जन भावना के विपरीत सरकारी निर्माण कार्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाया है।

दंतेवाड़ा जिले में स्थित मांई दंतेश्वरी जी का मंदिर संपूर्ण राज्य ही नहीं अन्य प्रदेशों के श्रद्धालुओं के लिए भी एक आस्था का प्रतीक है। दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा बरसात के मौसम में मंदिर परिसर और नदी के तट पर कराए जा रहे निर्माण कार्य जिला प्रशासन की नीयत को दिखाता है। 4 चरणों में करोड़ों रुपए के खर्चे से बन रहे इस निर्माण कार्य की उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लगाना आवश्यक है क्योंकि कुपोषण, लाल पानी, अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, एवं नक्सलवाद के नाम से हिंसक जैसी समस्याओं से भीषण रूप से जूझ रहे दक्षिण बस्तर क्षेत्र के लिए इस भारी-भरकम राशि का सदुपयोग करके सही मायनों में विकास किया जा सकता था।

यूपीएससी, पीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास कर आने वाले जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों से बस्तर क्षेत्र की जनता यह सवाल करती है कि हर साल दोनों नवरात्रियों (कुल लगभग 25 दिनों) में लाखों की संख्या में दंतेवाड़ा शहर में आई हुयी आदिवासी जनता शौच कहां करती है एवं रात में रूकती कहां है।

यदि दंतेवाड़ा जिला प्रशासन सही मायनों में मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर एवं श्रद्धालु गणों को सुविधा देना चाहती तो वाटरप्रूफ एवं फायर प्रूफ तंबूओं, भोजन एवं चलित शौचालयों की व्यवस्था करती। श्रद्धालुओं के लिए टेंट, भोजन एवं शौचालय की व्यवस्था के बजाए निर्माण कार्य को प्राथमिकता देना आदिवासियों एवं मूल निवासियों के प्रति दंतेवाड़ा जिला प्रशासन की मानसिकता को दिखाता है।

मंदिर परिसर एवं नदी के तट पर किए जा रहे निर्माण कार्यों का करोड़ों का भुगतान डीएमएफ एवं सीएसआर फंडों से किया जा रहा है जबकि डीएमएफ एवं सीएसआर फंडों का उद्देश्य खनन गतिविधियों से प्रभावित आदिवासियों एवं मूल निवासियों को सहायता प्रदान करना था।

 

दंतेवाड़ा जिला प्रशासन उपरोक्त निर्माण कार्यों का भुगतान राज्य सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के बजट से भी करवा सकती थी किंतु मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण के नाम से डीएमएफ एवं सीएसआर की भारी-भरकम राशियों का दुरुपयोग दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार की आदिवासियों एवं मूल निवासियों के प्रति सड़ी हुई मानसिकता को दिखाता है।

डीएमएफ एवं सीएसआर की राशियों का इस तरह दुरुपयोग करवाना भूपेश बघेल सरकार की मूल निवासियों एवं आदिवासियों के प्रति असफलता को भी दिखाता है। इस पूरे मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं आदिवासी मूलनिवासी समाजों के प्रमुखों की कार्यशैली एवं शुरुआती विरोध कर अंत में चुप्पी साधे बैठना ही उनकी भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध प्रतीत होता है।

पांचवी अनुसूची एवं ऐसा कानूनों का स्थानीय जनप्रतिनिधि नेता पालन करते दिख नहीं रहे हैं। चूंकि बस्तर का हर मूलनिवासी आदिवासी एक किसान है एवं पांचवी अनुसूची पेशा कानून लागू क्षेत्र आदिकाल से निवासरत है। डीएमएफ एवं सीएसआर कि इन भारी भरकम राशियों का सदुपयोग करके ना जाने कितने ही आदिवासी मूलनिवासी किसानों को ट्यूबवेल एवं सोलर बैटरी उपलब्ध कराया जा सकता था जिससे आदिवासी मूलनिवासी किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती।

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भारतीय किसान यूनियन डीएमएफ एवं सीएसआर की इन राशियों के दुरुपयोग का घोर विरोध करते हुए डीएमएफ एवं सीएसआर के राशियों की न्यायिक जांच की मांग करता है। भारतीय किसान यूनियन हर साल दोनों नवरात्रियों में दंतेवाड़ा में श्रद्धालुओं के लिए फायरप्रूफ एवं वाटरप्रूफ तंबूओं, भोजन एवं चलित शौचालयों की व्यवस्था करने की भी मांग करता है।

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