Crime : रायपुर में हुए रामवतार जग्गी हत्याकांड के मामले में आज एक और आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इस मामले में पहले से ही दो आरोपियों ने सरेंडर किया था, जिससे मामले की जांच और न्यायिक प्रक्रिया में गति आएगी। इस हत्याकांड में कुल 31 आरोपी शामिल हैं, जो अपने आप को न्यायिक प्रक्रिया में समेट रहे हैं।
15 अप्रैल को, दो शूटर विनोद सिंह राठौर और चिमन सिंह ने भी स्पेशल कोर्ट में सरेंडर किया था। मुख्य आरोपी याहया ढेबर, रायपुर के ढेबर बंधुओं में से एक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पांच दोषियों को सरेंडर के लिए तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था, जिसमें क्राइम ब्रांच के प्रभारी रहे आरसी त्रिवेदी, तत्कालीन मौदहापारा थाना प्रभारी वीके पांडे, सीएसपी कोतवाली अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी, और मेयर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर शामिल हैं।
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रामअवतार जग्गी की हत्या का मामला 21 वर्ष पहले, 4 जून 2003 को हुआ था, जब उन्हें एनसीपी के कोषाध्यक्ष के रूप में गोली मारकर हत्या की गई थी। इसके बाद, उनके बेटे सतीश जग्गी ने मौदहापारा थाने में एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में निचली अदालत ने 31 मई 2007 को कुछ आरोपियों को बरी किया था, जबकि शेष आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा है।
यह मामला समाज में गहरे छेद के रूप में उभरा है, जिसने स्थानीय राजनीतिक वातावरण को भी प्रभावित किया है।इस तरह की घटनाएं समाज के विश्वास और न्याय प्रणाली पर सवाल उठाती हैं, और न्याय की गति और संवेदनशीलता को लेकर चिंता पैदा करती हैं।