CG News: छत्तीसगढ़ में राजनीतिक वातावरण के साथ-साथ सांस्कृतिक मुद्दों की महत्वपूर्ण चर्चा होती रहती है। इसका एक उदाहरण यहाँ दिया गया है, जो बोरे बासी दिवस के मामले में है।
कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, अस्मिता, और परंपराओं को सहेजने का दावा किया था। वहीं, बीजेपी के प्रतिनिधित्व में भी यह दावा होता रहा कि उन्होंने भी स्थानीय संस्कृति और अस्मिता को बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह विवाद राजनीतिक मंचों पर सदैव चर्चा का विषय बना रहा है।
पूर्व सरकार ने अपने कार्यकाल में 1 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ के नाम से मनाने का निर्णय लिया था, जिसे प्रदेश में मजदूरों और किसानों के सम्मान के लिए ‘बोरे बासी दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था। इसे मुख्यमंत्री और अन्य शासकीय अधिकारियों के साथ-साथ कर्मचारियों ने भी सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट करके मनाया।
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हालांकि, इस बार की सरकार ने इस दिन को मनाने का फैसला नहीं किया है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने का काम नहीं किया गया है, बल्कि उसे दूषित करने का प्रयास किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने इस विवादित फैसले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि इससे स्पष्ट होता है कि स्थानीय संस्कृति को बचाने के लिए संबंधित निर्णय लेने की आवश्यकता है। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है जो राजनीतिक वातावरण में उठाए जा रहे हैं, और यहाँ तक कि राज्य की विकास योजनाओं को भी प्रभावित कर सकता है।