क्या अधिकारियों की है मौन स्वीकृति
कोरिया। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान परिक्षेत्र सोनहत इन दिनों निर्माण कार्यो को लेकर रोज नित्य नए कारनामे गढ़ रहा है। संबंधित उच्य अधिकारियों का लगातार दौरा पार्क परिक्षेत्रों में हो भी रहा है।
निर्माण कार्यो का निरीक्षण भी किया भी जा रहा उसके बाद भी भारी भर्राशाही निर्माण कार्यो में व्याप्त है। क्या अधिकारियों की मौन स्वीकृति रेंज प्रभारी को प्राप्त है?
एक और नमूना निर्माण कार्य का कैद हुआ कैमरे पर
सोनहत पार्क परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाला गांव मजगवा से लगभग 10 किलोमीटर दूर बहने वाली गोपद नदी में कुकुरमरवा,कारीटेहई स्थल पर दो स्टॉप डेम का निर्माण कार्य प्रगति पर है। निर्माण कार्य मे नदी से ही अमानक रेत का उपयोग पक्के निर्माण कार्य में किया जा रहा है वही स्टीमेट से हट कर पूरे निर्माण कार्य को अंजाम भी दिया जा रहा है। एक नजर में ही देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन पूर्ण कराने में कोई कसर संबंधित जिम्मेदार नही छोड़ रहे है। मापदंड से हटकर सरिया और सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है।
लालच के चक्कर में पेड़ों की बलि
पार्क परिक्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र है। ग्रामीण अपने उपयोग के लिए सुखी लकड़ी भी ले कर आये तो जुर्म है। पेड़ काट दिए तो जुर्म है लेकिन निर्माण कार्यो में मलाई छानने के लिए हरे भरे पेड़ को कटवा कर छन्नी जैसे सहारे के उपयोग में लाया जा रहा है। ये काम किसी ठेकेदार का नही बल्कि उन वनरक्षकों का है जिन्हें वनों की सुरक्षा के लिए शासन ने तैनात किए है। जो हजारों रुपए महीने शासन से तनख्वाह लेते है। शासन के वेतन से सायद अब इनका गुजर बसर नही हो रहा इस लिए कर्तव्यों से हट कर बैमानी करते हुए निर्माण कार्य स्थल के आस पास के हरे भरे पेड़ को कटवा कर इस्तेमाल किया जा रहा है। निर्माण कार्यो की किसी को भनक न लगे गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य की कोई पोल न खोल दे इस लिए नाबालिको से स्टापडेम निर्माण में काम लिया जा रहा है। निर्माण कार्य स्थल से 10 किलोमीटर दूर गांव के कई मजदूरों का कहना है कि बाहरी मजदूर को काम पर रखा गया है। जबकि गांव के लोग मजदूरी करने को तैयार है। सवाल उठता है कि जब पास में ही मजदूर है तो जिले से बाहर के ही क्यो काम पर रखा जा रहा है?
मजदूरी में डाका
निर्माण कार्य में लगे मजदूरों का कहना है कि उन्हें एक दिन का 3 सौ रुपए भुकतान किया जा रहा है। कुछ बैंक अकाउंट में तो कुछ को कैश भुकतान किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो पार्क परिक्षेत्र में मजदूरी शासन से 3 सौ 50 रु के आस पास है। लेकिन मजदूरी में भी हांथ की सफाई जिम्मेदार दिखा रहे है। और एक मजदूर के हर रोज के 50 रुपए डकार रहे हैं।
सोनहत पार्क परिक्षेत्र में लगातार शिकायतों के बाद जांच प्रक्रिया जारी है। पार्क के डायरेक्टर के द्वारा परिक्षेत्र का धुवा धार दौरा किया जा रहा है। निर्माण कार्यो का निरीक्षण भी कर रहे है। पर क्या उन्हें निर्माण कार्यो के लिए वन संपदा का दोहन दिखाई नही देता या फिर मौन स्वीकृति अपने अधिनस्थ अधिकारी को देकर रखे हैं। इस लिए बेधड़क गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य सहित वनों का दोहन किया जा रहा है। तमाम शिकायतों की लंबी सूची है। पर मजाल है कि पार्क परिक्षेत्राधिकारी सोनहत के खिलाफ डायरेक्टर की कलम चल सके।
िडिप्टी रेंजर के सहारे गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व पार्क परिक्षेत्र
पार्क परिक्षेत्र सोनहत में लगभग 4 सालों से डिप्टी रेंजर को प्रभार देकर पार्क परिक्षेत्राधिकारी बना कर बैठाया गया है। इस बीच लगातार पार्क परिक्षेत्र सोनहत गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य,वृक्षो की अवैध कटाई,जानवरों की मौत जैसे कई मामलों को लेकर सुर्खिया बटोरता रहा लेकिन प्रभारी रेंजर सब पर भारी पड़े किसी भी अधिकारी के कलम इनके खिलाफ नहीं चली।
कांग्रेस नेता अविनाश पाठक लगातार सक्रिय होकर गुरुघासीदास तमोर पिंगला राष्ट्रीय उद्यान टाइगर रिजर्व में चल रहे निर्माण कार्यो में अनियमितता की शिकायत अधिकारियों से की है। सकारात्मक परिणाम आना बाकी है। कब तक आएगा ये भी कहा नही जा सकता । टाइगर रिजर्व के भविष्य की चिंतन करते हुए पाठक ने तीखा व्यंग कसते हुए कहा भविष्य में जब पर्यटक टाइगर रिजर्व घूमने आएंगे तो दिखाएंगे क्या ? क्या जले हुए जंगल,निर्माण कार्यो में अपनी हांथ की सफाई, जंगलों में कम गांव में ज्यादा जानवर भोजन पानी की तलाश में पहुच रहे हंै। जिम्मेदार जानवरो के खाने पीने तक व्यवस्था नही कर पा रहे वैसे जानवर की व्यवस्था तो दूर की बात है। हाथ की सफाई दिखाते हुए जिस एनीकट का निर्माण कार्य करा रहे जिम्मेदार उसके लिए जल आपूर्ति ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। यह बड़ी विडंबना है कि पार्क परिक्षेत्र के अधिकारी भी मुख्यालय में निवास नहीं करते उस परिक्षेत्र की दशा और दिशा का अनुमान इस बात से ही लगया जा सकता है।