Congress Latest Politics News कांग्रेस के क्षत्रप आलाकमान को कुछ नहीं समझते

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Congress Latest Politics News कांग्रेस के क्षत्रप आलाकमान को कुछ नहीं समझते

Congress Latest Politics News क्या किसी दूसरी पार्टी के आलाकमान की ऐसी स्थिति होगी, जैसी कांग्रेस आलाकमान की है? छोटी और प्रादेशिक पार्टियों के आलाकमान भी अपने हिसाब से काम करते हैं। लेकिन इन दिनों कांग्रेस आलाकमान की स्थिति ऐसी हो गई है कि कोई भी उसकी बात नहीं सुन रहा है। सिर्फ अशोक गहलोत या सचिन पायलट का मामला नहीं है।

Congress Latest Politics News कैप्टेन अमरिंदर सिंह की कहानी कुछ समय पहले ही हुई और उसी समय भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव का ड्रामा दिल्ली में चला। राहुल गांधी कितनी बार डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया को बुला कर समझा चुके हैं लेकिन दोनों पर कोई असर नहीं है। इसी तरह मध्य प्रदेश में कमलनाथ अपनी शर्तों पर, अपने हिसाब से राजनीति करते हैं।

Congress Latest Politics News सोचें, राजस्थान के घटनाक्रम पर। दो साल पहले सचिन पायलट ने बगावत की और विधायकों को लेकर हरियाणा में बैठे रहे। उस समय अशोक गहलोत ने अपनी जादूगरी दिखाई और सरकार बचा ली। मन मार कर सचिन वापस लौटे और पार्टी के लिए काम शुरू किया। अब एक बार फिर राजस्थान में संकट है। सीधे सोनिया और राहुल गांधी ने अशोक गहलोत से बात की। राहुल ने सचिन पायलट से भी बात की। लेकिन ऐसा लग रहा है कि किसी को आलाकमान की बातों में दिलचस्पी नहीं है।

सब अपने राजनीतिक हित के हिसाब से फैसला कर रहे हैं। इसी तरह का विवाद छत्तीसगढ़ में हुआ था। राज्य सरकार के ढाई साल पूरे होने पर टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया था। इसे लेकर कई दिन तक कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के विधायक दिल्ली में डेरा डाले रहे। पार्टी आलाकमान को उस समय समझ में आ गया था कि अगर मुख्यमंत्री को बदलेंगे तो पार्टी टूटेगी।

पंजाब में चेंज किया तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह पार्टी छोड़ कर चले गए। कांग्रेस ने उनको मुख्यमंत्री पद से हटा कर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया और उसके कुछ ही दिन बाद कैप्टेन ने भी पार्टी छोड़ी और बाद में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी पार्टी छोड़ दी।

चुनाव से ठीक पहले हुई इस कलह का नतीजा यह हुआ कि पंजाब में कांग्रेस बहुत बुरी तरह से हारी। अभी कांग्रेस के लिए उम्मीदों का प्रदेश कर्नाटक है, जहां अगले साल चुनाव होना है और कांग्रेस को लग रहा है कि वह जीत सकती है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार दोनों आपस में लड़ रहे हैं। राहुल गांधी ने दोनों को दिल्ली बुला कर बात की और उनको समझाया लेकिन इसका कोई असर दोनों पर नहीं हुआ है। अब भारत जोड़ो यात्रा के बहाने दोनों भिड़े हैं।

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