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Maya is not found, Ram माया मिली ना राम!

Maya is not found, Ram माया मिली ना राम!

Maya is not found, Ram माया मिली ना राम!

Maya is not found, Ram आखिर जब स्थितियां बेहतर थीं, तब अर्थव्यवस्था को नहीं संभाला गया, बल्कि इसे चोट पहुंचाने वाले दुस्साहसी कदम भी उठाए गए, तो अब बुरे वक्त में उन सबका परिणाम एक साथ भुगतने के अलावा रास्ता क्या है?

Maya is not found, Ram  इस वर्ष जनवरी से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 90 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। इसके प्रमुख दो कारण बढ़ता व्यापार घाटा और डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत को कृत्रिम रूप से संभालने की भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिश है।

Maya is not found, Ram  मार्केट में यह आम जानकारी रही है कि रुपये की कीमत को प्रति डॉलर 80 से नीचे ना गिरने देने की कोशिश में रिजर्व बैंक अपने भंडार से डॉलर बाजार में डालता रहा है। इसके बावजूद परिस्थितियां ऐसी बनी हैं, जिनमें ये कीमत 81 को पार कर गई है। तो अब तमाम वित्तीय अखबारों में यह खबर आई है कि अक्टूबर से रिजर्व बैंक अपनी नीति बदलेगा और रुपये की कीमत को स्वाभाविक रूप से परिस्थितियों के मुताबिक गिरने देगा।

Maya is not found, Ram  तो कुल मिला कर सूरत यह बनी कि जिस समय डॉलर का भंडार में होना सारी दुनिया में बेहद अहम हो गया है, उस समय रिजर्व बैंक ने बड़े पैमाने पर उसे एक ऐसे मकसद के लिए खर्च किया, जिसमें उसे अब सरेंडर करना पड़ा है। इसी बीच रिजर्व बैंक ने कुछ अंतर्विरोधी कदम भी उठाए। मसलन, मुनाफे में चल रही कंपनियों को रुपये के बदले एक बिलियन डॉलर तक हासिल करने की छूट उसने दी। जाहिर है, इससे डॉलर की मांग और बढ़ी।

उधर अब तक गैर-जरूरी लग्जरी चीजों का आयात घटाने जैसे कोई उपाय नहीं किए गए हैँ। जबकि देश पर कर्ज चुकाने की देनदारियां भी हैं, जिनमें अगले सात महीनों में बड़ी मात्रा में डॉलर के जरिए पूरा करना होगा। इसके अलावा चूंकि वैश्विक परिस्थितियां बिगड़ती ही जा रही हैं, उसके मद्देनजर आगे की सूरत और चिंताजनक नजर आती हैं। ऐसे में रुपये की कीमत गिरेगी, इस सच को स्वीकार करने के अलावा कोई और चारा नजर नहीं आता।

इसलिए आखिरकार रिजर्व बैंक सरकार की नाक बचाने की कृत्रिम कोशिशों से उबरता है, तो उसे सही दिशा में ही माना जाएगा। रुपये की कीमत गिरने के जो दुष्प्रभाव होने हैं, वे होंगे। आखिर जब स्थितियां बेहतर थीं, तब अर्थव्यवस्था को नहीं संभाला गया, बल्कि इसे चोट पहुंचाने वाले दुस्साहसी कदम भी उठाए गए, तो अब बुरे वक्त में उन सबका परिणाम एक साथ भुगतने के अलावा रास्ता क्या है?

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