भाटापारा: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में गोबर और गोबर खाद का महत्व आज भी बरकरार है। किसानों के लिए यह उर्वरक का एक अहम स्रोत बना हुआ है, जिससे उनकी फसल उत्पादन क्षमता बढ़ती है। फिलहाल गोबर खाद की कीमत प्रति ट्रॉली 1100 से 1200 रुपए के बीच स्थिर बनी हुई है, जो किसानों के लिए एक संतुलित मूल्य माना जा रहा है। गोबर खाद की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना हुआ है, जिसके चलते कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखने को मिल रहा है।
गोबर की महत्ता बढ़ती जा रही है, क्योंकि उन्नत कृषि तकनीकियों के बावजूद गोबर और उसकी खाद का कोई और विकल्प नहीं मिल पाया है। गोबर के पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, सल्फर, कॉपर और जिंक भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं और जल धारण क्षमता बनाए रखने में भी मदद करते हैं। यही वजह है कि किसानों का भरोसा गोबर खाद पर अब भी कायम है, और इस खाद की मांग में कोई कमी नहीं आई है।

हालांकि, रबी और खरीफ सत्र में गोबर की मांग में हमेशा वृद्धि होती है, लेकिन इस बार गोबर गैस बनाने वाले और धार्मिक आयोजनों में उपलों की मांग में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी जा रही है। कई संस्थाएं जो उपलों का ऑनलाइन कारोबार कर रही हैं, वे भी गोबर की मांग करती हैं। इसके अलावा, गोबर के बढ़ते उपयोग और कीमतों के साथ, किसान इसे अपनी आगामी खरीफ सत्र की तैयारी के रूप में सुरक्षित रख रहे हैं।
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गोबर की उपलब्धता अच्छी है और इसकी मांग भी किसानों, ग्वालों और डेयरियों से लगातार बनी हुई है। हालांकि, कीमतों में तेज वृद्धि की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि किसानों के पास गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। अप्रैल मध्य से किसान इसके परिवहन की योजना बना रहे हैं, ताकि खरीफ सत्र की तैयारी सही ढंग से की जा सके।
गोबर और गोबर खाद पर अब भी विश्वास बना हुआ है, जिससे यह साबित होता है कि सदियों से चल रही परंपराओं और कृषि उपायों ने ही इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखी है।