Colors and gulal mixed: रंग-गुलाल के मिले सुर और ताल, ढोल-नगाड़ों की बिगड़ रही चाल

रंग-गुलाल के मिले सुर और ताल, ढोल-नगाड़ों की बिगड़ रही चाल

 होली बाजार है तैयार

राजकुमार मल
भाटापारा- रंग, गुलाल और ढोल- नगाड़े में थोक बाजार की ग्राहकी पूरी। बारी अब खुदरा बाजार की है, जहां संशय की स्थिति इसलिए बन रही है क्योंकि माह के मध्य में यह त्यौहार है। ऐसे में कमजोर रह सकती है मांग। फिर भी बेहतर की बाट जोह रहा है चिल्हर बाजार।

करीब ही है होली। होलसेल में दिए गए ऑर्डर अब पूर्णता की ओर है। तैयार हो रहा है चिल्हर बाजार क्योंकि बारी अब उसकी है। तेजी की खबरों के बीच यह क्षेत्र राहत में है क्योंकि रंग, गुलाल की कीमत जस- की- तस है जबकि ढोल-नगाड़ों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। फिर भी जोश और उमंग को देखते हुए बेहतर खरीदी की धारणा लेकर चल रहे हैं कारोबारी।

40 से 120 रुपए किलो

कानपुर और हाथरस से आते हैं रंग, गुलाल। उत्पादन बढ़ा हुआ है जबकि होली बाजार में मांग शांत है। इसलिए बीते साल की ही कीमत पर स्थिर है। खुदरा बाजार इसकी खरीदी न्यूनतम 40 और अधिकतम 120 रुपए किलो की दर पर कर रहा है। उपभोक्ताओं को प्रति किलो की खरीदी पर 2 से 5 रुपए ज्यादा देने पड़ सकते हैं। ऐसी ही स्थिति रंग में भी बनी हुई है। जिसकी खरीदी को लेकर चिल्हर बाजार ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहा है।

तेज हुई ढोल-नगाड़ों की आवाज

डोंगरगढ़ में बनते हैं ढोल-नगाड़े। प्रदेश को आपूर्ति यही शहर पूरी करता है। सख्ती के बाद कच्ची सामग्री बेहद तेज है। इसलिए लागत बढ़ी हुई है। असर होली बाजार की मांग पर पड़ रहा है। 350 रुपए, 1500 रुपए, 2200 रुपए और 3200 जैसी कीमत पर ढोल-नगाड़ों की खरीदी की जा सकेगी। 10 से 25% की तेजी के बाद यह कारोबारी क्षेत्र पूछ-परख के दौर में हैं। संकेत बेहतर के ही मिल रहे हैं।

आशंका इसकी

जैसे-तैसे करके रंग, गुलाल की खरीदी तो कर ली है चिल्हर बाजार ने लेकिन माह के मध्य में होली की तारीख की वजह से नौकरीपेशा वर्ग की खरीदी कमजोर रह सकती है क्योंकि जरूरी सामग्रियों की खरीदी को यह वर्ग प्राथमिकता देता है। ऐसा ही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का भी है। खरीफ फसल की अग्रिम तैयारी को यहां प्राथमिकता दी जा रही है, ऐसे में मांग का एक बड़ा हिस्सा छूटता नजर आ रहा है।