रायपुर। राज्य सरकार ने बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा-6 के तहत CBI को राज्य में जांच के पूर्ण अधिकार दिए गए हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय की CID शाखा ने सभी एसपी और रेंज आईजी को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं।
ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच के बाद अब CBI का हस्तक्षेप
इससे पहले इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की जा रही थी। ईओडब्ल्यू ने हाल ही में एक और आरोपी नवनीत तिवारी को गिरफ्तार किया है, जो 2022 से ED के छापों के बाद से फरार चल रहा था। आरोपी पर अवैध कोल लेवी वसूली और ब्लैक मनी के निवेश में शामिल होने का आरोप है।

घोटाले के प्रमुख आरोपी
- सूर्यकांत तिवारी (मास्टरमाइंड) – जेल में बंद
- निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, रजनीकांत तिवारी – बेल पर
- कुल 36 आरोपी – विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज
घोटाले का आकार
ED के अनुसार, कोयला परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने और अन्य तरीकों से 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई। अब CBI की जांच से इस मामले में नए खुलासे होने की संभावना है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घोटाले में CBI की एंट्री को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर दबाव में आकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया है, जबकि सरकार का कहना है कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
आगे की कार्रवाई:
CBI अब ED और EOW द्वारा एकत्र किए गए सबूतों की समीक्षा करेगी और नए सिरे से जांच शुरू करेगी। इस मामले में कई बड़े नाम सामने आने की आशंका जताई जा रही है।