छत्तीसगढ़ सरकार ने मातृशक्ति के सम्मान, सुरक्षा और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आगामी वर्ष 2026 को ‘महतारी गौरव वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने यह बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि राज्य की सभी प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों का केंद्र बिंदु माताएं और बहनें होंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य के अनुरूप छत्तीसगढ़ सरकार निरंतर दूरदर्शी निर्णय ले रही है। इसी क्रम में ‘छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047’ तैयार किया गया है, जिसमें महिलाओं की सशक्त भागीदारी को विकास की मूल धुरी माना गया है। इसी सोच के तहत वर्ष 2026 को महतारी गौरव वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।
महिला सशक्तिकरण को मिलेगी नई ऊंचाई
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि महतारी गौरव वर्ष के दौरान महिलाओं के सशक्तिकरण, सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन और सामाजिक गरिमा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का ठोस संकल्प लिया जाएगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यह वर्ष छत्तीसगढ़ में मातृशक्ति के नेतृत्व, सहभागिता और सम्मान का नया अध्याय लिखेगा, जो विकसित और समरस छत्तीसगढ़ की मजबूत नींव बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि माताओं और बहनों का आशीर्वाद ही सरकार की सबसे बड़ी ताकत है। उनके विश्वास और समर्थन से ही जनसेवा को नई ऊर्जा और दिशा मिलती है। इसी भावनात्मक और सामाजिक दायित्व के भाव से प्रेरित होकर यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है।
पहले ‘विश्वास वर्ष’, फिर ‘अटल निर्माण वर्ष’
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला सेवा वर्ष ‘विश्वास वर्ष’ के रूप में समर्पित रहा, जिसमें शासन और जनता के बीच भरोसे की पुनर्स्थापना हुई। दूसरा वर्ष भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित ‘अटल निर्माण वर्ष’ के रूप में मनाया गया, जिसमें आधारभूत ढांचे, सामाजिक विकास और जनकल्याण से जुड़े कई कार्य पूरे हुए। अब आगामी सेवा वर्ष मातृशक्ति को समर्पित महतारी गौरव वर्ष होगा।
महतारी वंदन योजना से लाखों महिलाएं सशक्त
महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए संचालित महतारी वंदन योजना के तहत राज्य की लगभग 70 लाख विवाहित महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपये की सहायता दी जा रही है। अब तक 22 किश्तों में 14,306 करोड़ 33 लाख रुपये की राशि सीधे महिलाओं के बैंक खातों में हस्तांतरित की जा चुकी है। महिला कल्याण के लिए 5,500 करोड़ रुपये का प्रावधान सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
महिला अधिकार और आजीविका पर विशेष फोकस
महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देने के लिए रजिस्ट्री शुल्क में 1 प्रतिशत की छूट, 368 महतारी सदनों का निर्माण, मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय का ऑनलाइन भुगतान जैसे निर्णयों ने सुशासन और पारदर्शिता को मजबूती दी है।
स्व-सहायता समूहों को सशक्त बनाने के लिए 42,878 महिला समूहों को 12,946.65 लाख रुपये का रियायती ऋण दिया गया है। वहीं बस्तर सहित छह जिलों में रेडी-टू-ईट कार्य महिला समूहों को सौंपा गया है।
नई योजनाओं से बढ़े रोजगार के अवसर
महिला आजीविका के लिए मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण योजना, नवाबिहान योजना, डिजिटल सखी, दीदी ई-रिक्शा योजना, सिलाई मशीन सहायता और मिनीमाता महतारी जतन योजना जैसी पहलें लागू की गई हैं। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सहायता राशि का बड़ा हिस्सा सीधे कन्या के खाते में भेजा जा रहा है।
महिला सुरक्षा और सामाजिक संरक्षण
महिला सुरक्षा के क्षेत्र में वन-स्टॉप सेंटर, 181 महिला हेल्पलाइन और डायल 112 के एकीकृत संचालन से त्वरित सहायता सुनिश्चित की गई है। सुखद सहारा योजना के तहत 2 लाख 18 हजार से अधिक विधवा और परित्यक्ता महिलाओं को मासिक सहायता दी जा रही है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री का बयान
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उनके लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण तैयार करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025–26 में विभाग को 8,245 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ आज महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नई दिशा, नई उम्मीद और नए परिवर्तन का प्रतीक बनकर उभर रहा है।