रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के ग्राम नारायणपुर में कुम्हार समाज द्वारा आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ एवं चक्र पूजा कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कारीगरों के हित में कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की और मिट्टी कला से जुड़े कारीगरों के लिए बड़े कदमों का ऐलान किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बताया कि ग्राम गोरिया में माटी कला बोर्ड के माध्यम से ग्लेजिंग यूनिट स्थापित की जाएगी, जिससे कुम्हारों के उत्पादों में आधुनिक फिनिशिंग और बाजार में बेहतर मूल्य मिल सकेगा। साथ ही कुम्हार समाज के मंगल भवन के विस्तार के लिए 25 लाख रुपये स्वीकृत करने की घोषणा भी की।
इस मौके पर सरगुजा संभाग के 100 कुम्हारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक (इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील) वितरित किए गए। सीएम साय ने कहा कि इससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, मेहनत कम होगी और कारीगरों की आय में स्थायी वृद्धि होगी।
“कुम्हार समाज हमारी सांस्कृतिक आत्मा का महत्वपूर्ण हिस्सा” — मुख्यमंत्री साय
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कुम्हार समाज द्वारा आयोजित यह महायज्ञ हमारी सांस्कृतिक विरासत का जीवंत स्वरूप है। चक्र पूजा केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सृजन, परिश्रम और मानव सभ्यता की निरंतरता का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि कुम्हारों की मिट्टी कला छत्तीसगढ़ की पहचान रही है—तीज-त्योहार, परंपराएँ और धार्मिक अनुष्ठान उनकी रचनात्मकता से ही जीवंत होते हैं। राज्य सरकार इस परंपरा को मजबूत बनाने और कारीगरों को सशक्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
माटी कला को विदेशों तक पहुँचाने की तैयारी
सीएम साय ने बताया कि:
- इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण
- नई डिजाइन और तकनीक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम
- उद्यमिता विकास कार्यशालाएँ
- वित्तीय सहायता योजनाएँ
- मेलों-प्रदर्शनियों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए मार्केटिंग समर्थन
इन सबके माध्यम से सरकार छत्तीसगढ़ की माटी कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कारीगरों से आग्रह किया कि वे आधुनिक तकनीक के साथ परंपरा को जोड़कर विश्व स्तर पर अपनी कला को चमकाएं।
कार्यक्रम में अनेक दिग्गज मौजूद
कार्यक्रम में वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधायक गोमती साय, रायमुनी भगत, पद्मश्री जागेश्वर यादव, माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष शंभूराम चक्रवर्ती, जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, साथ ही जूदेव परिवार के प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आम नागरिक शामिल रहे।