छत्तीसगढ़: प्रधानमंत्री फसल बीमा में फर्जीवाड़ा, केले की फसल को चना बता कर लाखों रुपए का भुगतान

राजनांदगांव। जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लाखों रुपए के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। पूर्व कांग्रेस विधायक छन्नी साहू की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

मामले की जांच के लिए तहसीलदार विजय कोठारी के नेतृत्व में 5 सदस्यीय टीम ग्राम आमगांव, छुरिया ब्लॉक पहुंची और किसानों व संलिप्त लोगों के बयान लिए। जिले के कृषि अधिकारी टीकम ठाकुर ने भी माना कि आमगांव में फसल बीमा में फर्जीवाड़ा हुआ है।

फर्जीवाड़े का तरीका

रिपोर्ट के अनुसार, बीमा कंपनी ने केले की खेती को चना फसल बताकर अलग-अलग खातों में लाखों रुपए जमा कराए। प्रथम दृष्टया, पिछले एक साल से रैलिस बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 34 खसरा की 40 हेक्टेयर भूमि पर केवल केले की फसल उगाई जा रही थी, लेकिन बीमा में इसे रबी फसल 2024-25 के चना फसल के रूप में दिखाकर 25 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा लिया गया।

पूर्व कांग्रेस सरकार (2022-23) में भी इसी तरह का बीमा फर्जीवाड़ा सामने आया था। उस समय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ने अपने नाम पर फसल बीमा कराया था। हालांकि जांच रिपोर्ट दबा दी गई और कार्रवाई शून्य रही। वर्तमान में वही अधिकारी छुरिया ब्लॉक में पदभार संभाल रहे हैं।

कंपनी और शिकायतकर्ता की प्रतिक्रिया

रैलिस बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के पार्टनर जय बग्गा ने कहा कि उन्हें जांच टीम आने पर पता चला कि उनकी जमीन के नाम पर बीमा फर्जी तरीके से लिया गया। उन्होंने कहा, “न तो हमने किसी को जमीन लीज पर दी और न ही इस फर्जीवाड़े से हमारी कंपनी को कोई लाभ हुआ। दोषियों के खिलाफ हम कड़ी कार्रवाई करेंगे और मानहानि नोटिस भी भेजेंगे।”

छन्नी साहू ने कहा कि जहां पिछले दो साल से केले की खेती हो रही थी, वहां चना फसल बीमा के नाम पर 23 से 26 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ। उन्होंने प्रशासन से कहा कि ऐसे मामले सुशासन और किसानों के हित के लिए गंभीर रूप से देखें।

जांच का अपडेट

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, तहसीलदार छुरिया के नेतृत्व में बनाई गई टीम मामले की जांच कर रही है। एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट कलेक्टर, राजनांदगांव को सौंपी जाएगी।

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