राजकुमार मल
Chhattisgarh news पात्र, फिर भी अपात्र, स्वतंत्र जिला की मांग, बन रहा सियासी मुद्दा
Chhattisgarh news भाटापारा- स्वतंत्र जिला। मांग नहीं, अब सियासी मुद्दा बनने की राह पर है क्योंकि पक्ष हो या विपक्ष, दोनों के जमीनी कार्यकर्ता सहमत हैं। इसलिए कारोबार जगत भी आहिस्ता-आहिस्ता मन बना रहा है कि पूछा जाएगा कि “आखिर वह कौन सी मजबूरी है”? जो इस जायज हक की राह रोक रही है।
यकीन मानिए, स्वतंत्र जिला की मांग के बीच चुनाव में जब वोट मांगने राजनीतिक पार्टियां निकलेंगी, तब जवाब नहीं होगा। राज्य स्थापना के पहले कार्यकाल में कांग्रेस। फिर 15 बरस भाजपा का दौर आया। जिन गंभीर शब्दों में दिलासा दिलाया, उसकी बदौलत लगातार भाजपा को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता रहा। यह सिलसिला आज भी जारी है। जनसाधारण का भरोसा अब राजनीतिक पार्टियों से टूटता जा रहा है क्योंकि सत्ता पर बैठी कांग्रेस, भाजपा से अलग नजर नहीं आ रही है।
आयोग ने की थी सिफारिश
Chhattisgarh news जिला पुनर्गठन के लिए बनाए गए दुबे आयोग ने भाटापारा को स्वतंत्र जिला के लिए सही माना था। मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग, लघु और मझोले उद्योग अच्छी संख्या में हैं, तो सीमेंट उद्योग की उपस्थिति इसे, देश में महत्वपूर्ण स्थान देती है। पुराने रायपुर जिले में सर्वाधिक आबादी वाला शहर भी माना गया था। पूरा हक रखता था भाटापारा लेकिन बलौदा बाजार को जिला बनाया गया।
कांग्रेस ने छला
Chhattisgarh news अगले बरस होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी कांग्रेस ने इसके पहले के चुनाव के दौरान घोषणा की थी कि सत्ता में आएंगे तो 28 वां जिला भाटापारा बनेगा। यह घोषणा एक सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की थी। इसके पहले स्वर्गीय नंद कुमार पटेल भी यह वायदा कर चुके थे। बाद की अवधि में वन मंत्री मोहम्मद अकबर और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव भी वादा कर चुके हैं। आज जब 3 नए जिले अस्तित्व में आ रहेंं हैं, तब इस सवाल का जवाब कौन देगा, कि वायदा कब पूरा करेंगे ?
हताश ही किया इन्होंने भी
Chhattisgarh news भारतीय जनता पार्टी। 15 बरस राज करती रही। मौका-बे-मौका उसने भी स्वतंत्र जिला बनाने की बात कही लेकिन मूर्त रूप में यह बात कभी सामने नहीं आ पाई। कांग्रेस के वायदे के बीच भी भाजपा पर भरोसा किया गया और अपना प्रतिनिधि भाजपा प्रत्याशी को ही बनाया लेकिन जिस तरह चुनाव-दर-चुनाव भाजपा ने भी निराश किया, वह आगामी चुनाव के परिणाम में एक झटका दे सकता है क्योंकि जनमानस का मूड तेजी से बदलता नजर आ रहा है।
पात्र, फिर भी अपात्र
Chhattisgarh news 1935 में बनी नगरपालिका आज भी प्रदेश की बड़़ी नगर पालिकाओं में गिनी जाती है। 5 जिलों की कृषि उपज को सर्वोत्तम कीमत देने वाली कृषि उपज मंडी भी यहीं हैं। खनिज संपदा से भरपूर यहां का डोलोमाइट और लाइमस्टोन पूरे देश में पहचान रखता है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां यहां अच्छी- खासी संख्या में रोजगार दे रहीं हैं, तो अपने उत्पादन के दम पर अंतर प्रांतीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना चुकी हैं।