रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए करीब 35 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट सदन में प्रस्तुत किया। वित्त वर्ष की समाप्ति से मात्र तीन महीने पहले लाए गए इस बड़े अनुपूरक बजट को लेकर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली।

कांग्रेस विधायक राघवेंद्र सिंह ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। उन्होंने पूछा कि वित्तीय वर्ष के अंतिम चरण में इतनी बड़ी राशि के अनुपूरक बजट की आखिर जरूरत क्यों पड़ी। उनके अनुसार बजट में कोई स्पष्ट दृष्टि या दीर्घकालिक योजना नजर नहीं आती।
राघवेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य में महिलाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। महतारी वंदन योजना के तहत दी जा रही सहायता राशि के मुकाबले बिजली बिलों में बढ़ोतरी का बोझ ज्यादा पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जमीनी कामों की बजाय इवेंट मैनेजमेंट और आयोजनों पर ज्यादा ध्यान दे रही है। बजट का उपयोग उत्सव मनाने में हो रहा है, जबकि विकास कार्य पीछे छूट रहे हैं।
कांग्रेस विधायक ने यह भी कहा कि नए पदों पर भर्ती और अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर किए गए वादों का बजट में कोई उल्लेख नहीं है। किसानों के पंजीयन, भुगतान और गिरदावरी प्रक्रिया में भी गंभीर खामियां बताई गईं। उन्होंने कहा कि सड़क, धान खरीदी, आदिवासी, किसान, युवा और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट लक्ष्य तय कर काम किए जाने की जरूरत है।

रोजगार आधारित उद्योगों पर फोकस की जरूरत : अजय चंद्राकर
अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा अनुपूरक बजट है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व व्यय बढ़ाने की परंपरा की शुरुआत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुई थी और धान खरीदी को राजनीतिक मुद्दा बनाया गया।
अजय चंद्राकर ने कहा कि राज्य में नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिनसे छत्तीसगढ़ और स्थानीय लोगों को सीधा लाभ मिले। उन्होंने कृषि को आज भी रोजगार का सबसे मजबूत आधार बताते हुए कृषि अनुसंधान केंद्रों को पर्याप्त वित्तीय सहायता देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भाजपा विधायक ने महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अवधारणा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई थी, जिससे कुटीर और पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा मिला। उन्होंने दावा किया कि राज्य में एससी-एसटी वर्ग की बड़ी आबादी के हित में वर्तमान सरकार बेहतर ढंग से काम कर रही है।